22 नवम्बर 2015 रविवार को तुलसी विवाह प्रारंभ ◆तुलसी विवाह की पूजन विधि◆
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कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को तुलसी विवाह का उत्सव मनाया जाता है। तुलसी के पौधे
को पवित्र और पूजनीय माना गया है। तुलसी की नियमित पूजा से हमें सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। कार्तिक शुक्ल एकादशी पर तुलसी विवाह का विधि-वत पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
◆तुलसी विवाह की पूजन विधि◆
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तुलसी विवाह के लिए तुलसी के पौधे का गमले को गेरु आदि से सजाकर उसके चारों ओर ईख (गन्ने) का मंडप बनाकर उसके ऊपर ओढऩी या सुहाग की प्रतीक चुनरी ओढ़ाते हैं।
गमले को साड़ी में लपेटकर तुलसी को चूड़ी पहनाकर उनका श्रंगार करते हैं। श्री गणेश सहित सभी देवी-देवताओं का तथा श्री शालिग्रामजी का विधिवत पूजन करें।
पूजन के करते समय तुलसी मंत्र (तुलस्यै नम:) का जप करें। इसके बाद एक नारियल दक्षिणा के साथ टीका के रूप में रखें। भगवान शालिग्राम की मूर्ति का सिंहासन हाथ में लेकर तुलसीजी की सात परिक्रमा कराएं। आरती के पश्चात विवाहोत्सव पूर्ण किया जाता है।
जैसे विवाह में जो सभी रीति-रिवाज होते हैं उसी तरह तुलसी विवाह के सभी कार्य किए जाते हैं। विवाह से संबंधित मंगल गीत भी गाए जाते हैं।
जय श्री हरि। जय शिव