पौधों और तमाम तरह की जड़ी बूटियों को आदिवासी पूजा पाठ में इस्तेमाल करते हैं। ग्रामीण अंचलों में इन्ही सब जड़ी बूटियों से रोगोें का उपचार भी किया जाता है। आदिवासी जड़ी बूटियों के इस्तेमाल से पहले इनकी पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इससे जड़ी-बूटियों का असर दो गुणा हो जाता है। इन जड़ी-बूटियों और उनके गुणों की पैरवी और पुष्टी आधुनिक विज्ञान भी कर चुका है। चलिए जानते हैं 16 ऐसी ही जड़ी-बूटियों के बारे में…
1. दूब घास
दूब घास को दूर्वा भी कहा जाता है। आदिवासियों के अनुसार इसका रोजाना सेवन शारीरिक स्फूर्ति प्रदान करता है। शरीर को थकान महसूस नहीं होती है। आदिवासी नाक से खून निकलने पर ताजी व हरी दूब का रस 2-2 बूंद नाक के नथुनों में डालते हैं, जिससे नाक से खून आना बंद हो जाता है।
2. अकोना
इसे मदार या आक भी कहते हैं, इसके दूध को घावों पर लगाने से घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं।
3. मक्का
मक्का खाने से शरीर को ताकत और ऊर्जा मिलती है। इसके सेवन से पीलिया भी दूर हो जाता है।मक्के के बीज, रेशम जैसे बाल, मक्के की पत्तियां सभी जबरदस्त औषधीय गुणों की खान हैं।
4. लटजीरा
इसे अपामार्ग भी कहा जाता है। इसके सूखे बीजों को वजन कम करने के लिए कारगर माना जाता है। इसके तने से दातून करने से दांत मजबूत हो जाते हैं।
5. कनेर
कनेर को बुखार दूर करने के लिए कारगर माना जाता है। आदिवासी हर्बल जानकार सर्पदंश और बिच्छु के काटने पर इसका उपयोग करते हैं।
6. तुलसी
सूक्ष्मजीव संक्रमण में तुलसी को एक बेहतरीन दवा माना जाता है। सर्दी, खांसी और बुखार में उपयोग के अलावा तुलसी सोरायसिस और दाद-खाज के इलाज में भी काम आती है।
7. केवड़ा
जिन महिलाओं को मासिक धर्म संबंधित विकार होते हैं। उनके लिए केवड़ा रामबाण दवा है। आदिवासी हर्बल जानकार विकारों को दूर करने के लिए केवड़े के पौधे का इस्तेमाल करते हैं।
8. शमी
शरीर की गर्मी दूर करने के लिए शमी की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। बहुमूत्रता की समस्या में भी शमी की पत्तियों का रस सेवन किया जाता है।
9. बेलपत्र
आदिवासियों के अनुसार बेलपत्र दस्त और हैजा नियंत्रण में दवा का काम करते हैं। शरीर से दुर्गंध का नाश करने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है।
10. अर्जुन छाल
दिल के रोगों में अर्जुन सर्वोत्तम माना गया है। अर्जुन छाल शरीर की चर्बी को घटाती है। इसलिए वजन कम करने की औषधि के तौर पर भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
11. पीपल
पीपल को याददाश्त बढ़ाने,बच्चों के तीव्र विकास और पेट दर्द में कारगर औषधि माना गया है।
12. मण्डूकपर्ण
बच्चों की याददाश्त बेहतर बनाने और ब्लडप्रेशर कंट्रोल करने के लिए मण्डूकपर्ण को उपयोग में लाया जाता है।
13. अशोक
महिलाओं के लिए अशोक वरदान है। गर्भाशय की बेहतरी, मासिक धर्म संबंधित रोगों के निवारण के लिए इसे अच्छा माना गया है।
14. जासवंत
इसे गुड़हल भी कहा जाता है। आदिवासी इसके फूलों को तनाव दूर करने और बेहतर नींद के लिए उपयोग में लाते हैं
15. शिवलिंगी
महिलाओं में गर्भधारण और शिशु प्राप्ति के लिए शिवलिंगी के बीजों का इस्तेमाल किया जाता है।
16. विदारीकंद
आदिवासी इसे पौरुषत्व और ताकत बढ़ाने के लिए उपयोग में लाते हैं।
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