त्यौहार-व्रत

ह‌िन्दू धर्म में है मकर संक्रांत‌ि का खास महत्व

Written by Bhakti Pravah

1. मकर संक्रांति के दिन से ही सूर्य की उत्तरायण गति भी प्रारम्भ होती है। इसलिए इस पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायणी भी कहते हैं,

2. पुराणों के अनुसार मकर सक्रांति के दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर एक महीने के लिए आते है, मकर राशि का स्वामी शनि है और इस द‌िन सूर्य देव शन‌ि महाराज का भंडार भरते हैं।

3. ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य और शनि का तालमेल संभव नही, लेकिन इस दिन सूर्य खुद अपने पुत्र के घर जाते हैं। इसलिए पुराणों में यह दिन पिता-पुत्र को संबंधो में निकटता की शुरुआत के रूप में देखा जाता है।

4. मकर संक्रांत‌ि के दिन भगवान विष्णु ने मधु कैटभ से युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी। उन्होंने मधु के कंधे पर मंदार पर्वत रखकर उसे दबा द‌िया था। इसल‌िए इस द‌िन भगवान व‌िष्‍णु मधुसूदन कहलाने लगे।

5. गंगा को धरती पर लाने वाले महाराज भागीरथ ने अपने अपने पूर्वजों के आत्मा की शांत‌ि के ल‌िए इस दिन तर्पण किया था। उनका तर्पण स्वीकार करने के बाद इस दिन गंगा समुद्र में जाकर मिल गई थी। इसलिेए मकर सक्रांति पर गंगा सागर में मेला लगता है।

6. मां दुर्गा ने दानव महिषासुर का वध करने के लिए इसी दिन धरती पर कदम रखा था।

7. महाभारत में पितामह भीष्म ने सूर्य के उत्तरायण होने पर स्वेच्छा से शरीर का त्याग किया था, कारण यह है कि उत्तरायण में देह त्यागने वाले व्यक्त‌ि की आत्मा मोक्ष पा लेती है या देवलोक में रहकर पुनः गर्भ में लौटती है।

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