अध्यात्म

हिन्दू धर्म ने क्यो दी आठ प्रकार के विवाहो को मान्यता

Written by Bhakti Pravah

1- ब्राहम विवाह –

ब्राहम विवाह की रीति सबसे उत्तम मानी होती है । इस विवाह के अंतेर्गत पिता अपनी बेटी के लिए सुयोग वर की तलाश करके वैदिक विवाह पद्धति से विवाह को सम्पन्न करता है । इस विवाह मे दोनों पक्ष की रजाबंदी होती है । इस विवाह मे पिता की 7 पीड़ी और माता की 5 पीड़ी मे तथा सगोत्र मे विवाह वर्जित होता है । आजकल 3 पीडिओ का ध्यान रखा जाता है ।

2- देव विवाह –

यह विवाह आजकल प्रचलन मे नहीं है । इस विवाह के अंतेर्गत कन्या का पिता किसी योग्य कर्मकांडी या हवन यज्ञ करने वाले ब्राहमण या विद्वान को दे दिया जाता था । लेकिन समय के अनुसार विदवानता धीरे धीरे खत्म होने लगी और ये विवाह भी बंद हो गए है ।

3- आर्ष विवाह –

ये विवाह आजकल संवभ नहीं है । ये बहुत पहले प्रचलन मे था । अनादिकाल मे बहुत सारे लोग बचपन मे सन्यासी बन जाते थे फिर बाद मे उन सन्यासिओ मे काम ऊर्जा वासना जाग्रत हो जाती थी तो वो ऋषि सन्यासी इस प्रकार का विवाह करते थे । इस विवाह मे सन्यासी को अगर कोई कन्या पसंद आ गयी तो वो सन्यासी उस कन्या के माता पिता के पास जाकर उसका हाथ मांगता था तथा कुछ सामर्थ के अनुसार कन्या के माता पिता को कुछ धन देता था । आजकल के कुछ सन्यासी अभी भी ऐसा कर रहे है ।

4- प्रजापत्य विवाह –

आजकल इस विवाह पद्धति का प्रचलन बड़ रहा है । यह विवाह ब्राहम विवाह की तरह ही है । सिर्फ इतना फर्क है कि इसमे सगोत्र की पिता की 5 पीड़ी और माँ की 3 पीड़ी मे विवाह वर्जित है । लेकिन आजकल संस्कारो के सत्यानाश के कारण पश्चिमी सभ्यता के कारण लोग सगोत्र मे विवाह करने लगे है । जोकि मनुष्य प्रजाति के लिए बहुत ही हानिकारक है ।

5- आसुर विवाह –

इस विवाह के अंतेर्गत कन्या का पिता कुछ धन लेकर किसी आदमी के साथ विवाह कर देता है । या जहां पर कन्या का विवाह किया जाता है वहाँ से अपने बेटे के लिए कन्या ले लेता है । यह एक तरह से कन्याओ की अद्ला बदली होती है । इस तरह के विवाह बहुत कम होते है । कुछ जगह पर इस प्रकार विवाह अभी भी देखने को मिलते है ।

6- गंधर्व विवाह –

यह विवाह एक प्रकार का प्रेम विवाह होता है । इस विवाह के अंतेर्गत लड़का और लड़की अपनी पसंद से शादी करते है और बाद मे माता पिता भी राजी हो जाते है । इस विवाह मे कोई जाति धर्म नहीं देखा जाता है ।

7- राक्षस विवाह –

इस विवाह के अंतेर्गत कोई राजा किसी दूसरे राजा को युद्ध मे हरा देता था तो हारा हुआ राजा दोस्ती के लिए अपनी बेटी की शादी उस जीते हुए राजा से कर देता था । इस प्रकार के विवाहो को भी मान्यता थी ।

8- पिशाच विवाह –

इस प्रकार के विवाह सबसे निकृष्ट श्रेणी मे आते है । कोई लड़का किसी लड़की को लेकर भाग जाता है या उसका बलात्कार कर देता है । और मजबूरी मे विवाह करना पड़े तो इसे पिशाच विवाह कहते है । यह विवाह सबसे घटिया श्रेणी मे आता है । अभी भी कई धर्मगुरुओ और सभ्य आदमियो ने ऐसे विवाह किए हुए है । इस लिए पिशाच विवाह को आज भी मान्यता है ।

डॉ एच एस रावत ( वैदिक फ़िलॉसफ़र )

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