हस्त रेखा 01 :-आज से एक नया प्रयास शुरू हो रहा हे जिसमे हस्त रेखा देखना सिखाया जा रहा हे ।यह सेवा सुरेश जी इसरानी द डिजिटल वल्र्ड सरदार पूरा जोधपुर की और से हे ।सबसे पहले आप किसी भी जातक का हाथ देखने से पहले अपने गुरु या इष्ट देवता का ध्यान करें। सीधा हाथ आपका आज का और आने वाला कल का हे।उल्टा हाथ जन्म से और बीता हुआ कल का होता हे। हाथ देखने का पहला नियम यह हे की आप जातक के हाथो को छुए नही ।उससे थोड़ी सी दुरी बनाए रखेँ।हाथ में सबसे पहले अंगूठा होता हे ।इस अंगूठे के निचे के भाग को शुक्र पर्वत कहते हे।शुक्र पर्वत से आप जीवन के सुख कितना भोग पाते हे इसका मालूम पड़ता हे।अंगूठे के पास वाली ऊगली को तर्जनी उंगली कहते हे।यह गुरु की उंगली हे इस उंगली के नीचे वाले भाग को गुरु पर्वत कहते हे।इस उंगली से पितरौ के तिलक करने से पितृ प्रसन्न होते हे।गुरु पर्वत से सम्मान घ्यान ज्ञान और निर्णय श्रमता का मालूम पड़ता हे।हाथ में बीच वाली उँगली को मध्यमा उँगली कहते हे।यह शनि की उँगली है।इस उँगली के नीचे वाले भाग को शनि पर्वत कहते हे।यह आपकी कार्य श्रमता और मानसिक चेतना परिश्रम के बारे में मालूम पड़ता हे।मध्यमा के पास वाली उँगली को अनामिका उँगली कहते हे यह सूर्य की उँगली हे।इसके नीचे वाले भाग को सूर्य पर्वत कहते हे।यह मान् सम्मान यश कीर्ति बताता हे।हाथ में सबसे छोटी उँगली कनिष्टिका के नाम से जानी जाती हे।यह बुध पर्वत की उँगली हे।इसके नीचे के भाग को बुध पर्वत कहते हे।यह व्यापार बोलने की कला के बारे में बताता हे।
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