अध्यात्म

सार्वभौम उन्नति ,लाभप्रद ऊर्जा प्रवाह और नकारात्मकता ,भूत -प्रेत के शमन हेतु

Written by Bhakti Pravah

भगवती बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक प्रमुख महाविद्या और शक्ति हैं ,जिन्हें ब्रह्मास्त्र विद्या या शक्ति भी कहा जाता है |यह परम तेजोमय शक्ति है जिनकी शक्ति का मूल सूत्र -प्राण सूत्र है |प्राण सूत्र ,प्रत्येक प्राणी में सुप्त अवस्था में होता है जो इनकी साधना से चैतन्य होता है ,इसकी चैतन्यता से समस्त षट्कर्म भी सिद्ध हो सकते है , बगलामुखी को सिद्ध विद्या भी कहा जाता है ,मूलतः यह स्तम्भन की देवी है पर समस्त षट्कर्म इनके द्वारा सिद्ध होते है और अंततः यह मोक्ष प्रदान करने में सक्षम है

ताबीज आदि में एक बृहद उर्जा विज्ञानं काम करता है ,जो ब्रह्मांडीय उर्जा संरचना ,क्रिया ,तरंगों ,उनसे निर्मित भौतिक इकाइयों की उर्जा संरचना का विज्ञानं है , इस उर्जा संरचना को ही तंत्र कहा जाता है |इसकी तकनीक प्रकृति की स्वाभाविक तकनीक है,यही तकनीक तंत्र ,योग ,सिद्धि ,साधना में प्रयुक्त की जाती है , ताबीज में प्राणी के शारीर और प्रकृति की उर्जा संरचना ही कार्य करती है, इनका मुख्या आधार मानसिक शक्ति का केंद्रीकरण और भावना होता है, प्रकृति में उपस्थित वनस्पतियों और जन्तुओ में एक उर्जा परिपथ कार्य करता है ,मृत्यु के बाद भी इनमे तरंगे कार्य करती है, इनमे विभिन्न तरंगे स्वीकार की जाती है और निष्कासित की जाती है |

जब किसी वास्तु या पदार्थ पर मानसिक शक्ति और भावना को केंद्रीकृत करके विशिष्ट क्रिया की जाती है तो उस पदार्थ से तरंगों का उत्सर्जन होने लगता है, जिस भावना से उनका प्रयोग जिसके लिए किया जाता है ,वह इच्छित स्थान पर वैसा कार्य करने लगता है,,ताबीज बनाने वाला जब अपने ईष्ट में सचमुच डूबता है तो वह अपने ईष्ट के अनुसार भाव को प्राप्त होता है, भाव गहन है तो मानसिक शक्ति एकाग्र होती है ,जिससे वह शक्तिशाली होती है ,यह शक्तिशाली हुई तो उसके उर्जा परिपथ का आंतरिक तंत्र शक्तिशाली होता है और शक्तिशाली तरंगे उत्सर्जित करता है |ऐसा व्यक्ति यदि किसी विशेष समय,ऋतू-मॉस में विशेष तरीके से ,विशेष पदार्थो को लेकर अपनी मानसिक शक्ति और मन्त्र से उसे सिद्ध करता है तो वह ताबीज धारक व्यक्ति को उस भाव की तरंगों से लिप्त कर देता है |यह समस्त क्रिया शारीर के उर्जा चक्र को प्रभावित करती है और तदनुसार व्यक्ति को उनका प्रभाव दिखाई देता है ,साथ ही इनका प्रभाव आस पास के वातावरण पर भी पड़ता है क्योकि तरंगों का उत्सर्जन आसपास भी प्रभावित करता है |

बगलामुखी यन्त्र माता बगलामुखी का निवास माना जाता है जिसमे वह अपने अंग विद्याओ ,शक्तियों ,देवों के साथ निवास करती है ,अतः यन्त्र के साथ इन सबका जुड़ाव और सानिध्य प्राप्त होता है, यन्त्र के अनेक उपयोग है ,यह धातु अथवा भोजपत्र पर बना हो सकता है ,पूजन में धातु के यन्त्र का ही अधिकतर उपयोग होता है ,पर सिद्ध व्यक्ति से प्राप्त भोजपत्र पर निर्मित यन्त्र बेहद प्रभावकारी होता है ,,धारण हेतु भोजपत्र के यन्त्र को धातु के खोल में बंदकर उपयोग करते है, जब व्यक्ति स्वयं साधना करने में सक्षम न हो तो यन्त्र धारण मात्र से उसे समस्त लाभ प्राप्त हो सकते है ,|

यन्त्र /कवच धारण से लाभ

१. बगलामुखी की कृपा से व्यक्ति की सार्वभौम उन्नति होती है |,
२. शत्रु पराजित होते है ,सर्वत्र विजय मिलती है |
३. ,मुकदमो में विजय मिलती है ,वाद विवाद में सफलता मिलती है |
४. अधिकारी वर्ग की अनुकूलता प्राप्त होती है ,|
५. विरोधी की वाणी ,गति का स्तम्भन होता है |,
६. शत्रु की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है ,उसका स्वयं विनाश होने लगता है |,,
७. ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ,|हर कार्य और स्थान पर सफलता बढ़ जाती है |
८. व्यक्ति के आभामंडल में परिवर्तन होने से लोग आकर्षित होते है |,
९. प्रभावशालिता बढ़ जाती है ,वायव्य बाधाओं से सुरक्षा होती है |,
१०. तांत्रिक क्रियाओं के प्रभाव समाप्त हो जाते है ,सम्मान प्राप्त होता है ,|
११. ,परीक्षा ,प्रतियोगिता आदि में सफलता बढ़ जाती है |,
१२. भूत-प्रेत-वायव्य बाधा की शक्ति क्षीण होती है क्योकि इसमें से निकलने वाली सकारात्मक तरंगे उनके नकारात्मक ऊर्जा का ह्रास करते हैं और उन्हें कष्ट होता है |,
१३. मांगलिक और उग्र देवी होने से नकारात्मक शक्तियां इनसे दूर भागती हैं |
१४. मांगलिक ,पारिवारिक कार्यों में आ रही रुकावट दूर होती है |
१५. धारक पर से किसी भी तरह के नकारात्मक दोष दूर होते हैं |
१६. शरीर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवाह बढने से आत्मबल और कार्यशीलता में वृद्धि होती है |
१७. आलस्य ,प्रमाद का ह्रास होता है |व्यक्ति की सोच में परिवतन आता है ,उत्साह में वृद्धि होती है |
१८. किसी भी व्यक्ति के सामने जाने पर सामने वाला प्रभावित हो बात मानता है और उसका विरोध क्षीण होता है |,
१९. घर -परिवार में स्थित नकारात्मक ऊर्जा की शक्ति क्षीण होती है |
२०. नौकरी ,व्यवसाय ,कार्य में स्थायित्व प्राप्त होता है |
यह समस्त प्रभाव यन्त्र धारण से भी प्राप्त होते है और साधना से भी ,साधना से व्यक्ति में स्वयं यह शक्ति उत्पन्न होती है |,यन्त्र धारण से यन्त्र के कारण यह उत्पन्न होता है,यन्त्र में उसे बनाने वाले साधक का मानसिक बल ,उसकी शक्ति से अवतरित और प्रतिष्ठित भगवती की पारलौकिक शक्ति होती है जो उसके द्वारा अभिमंत्रित किये जाने से वह सम्पूर्ण प्रभाव प्रदान करती है जो साधना में प्राप्त होती है |,इस यन्त्र पर सिद्ध साधक २१ हजार मंत्र से अभिमंत्रित कर दे तो यह महा शक्तिशाली रूप ले कर सर्वविध कल्याण करती है |अतः आज के समय में यह साधना अथवा यन्त्र धारण बेहद उपयोगी है

Leave a Comment