लोग दुनिया का कल्याण तो चाहते हैं, लेकिन पहले स्वयं अपना। शराब से ज्यादा नशा धन का होता है। शराब का नशा तो दो-चार घंटे बाद ही उतर जाता है, लेकिन धन का नशा तो जिंदगी बर्बाद करने के बाद ही उतरता है।
धन का अहंकार रखने वाले हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि पैसा कुछ भी हो सकता है, बहुत कुछ हो सकता है, लेकिन सब कुछ नहीं हो सकता। हर आदमी को धन की अहमियत समझना बहुत जरूरी है।
धनाढ्य होने के बाद भी यदि लालच और पैसों का मोह है, तो उससे बड़ा गरीब और कोई नहीं हो सकता है। प्रत्येक व्यक्ति ‘लाभ’ की कामना करता है, लेकिन उसका विपरीत शब्द अर्थात ‘भला’ करने से दूर भागता है।
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