तरुण सागर जी संत प्रवचन

श्री तरुण सागर जी महाराज 26

Written by Bhakti Pravah

इन्सान के शरीर 45 डेल (इकाई) तक ही दर्द सह सकता है l

परन्तु जन्म देते समय एक महिला को ५७ डेल (इकाई) तक दर्द महसूस करती है l

यह दर्द 22 हड्डियों का एक साथ टूटने के बराबर है l

अपनी माँ की प्यार करो , इस धरती पर सबसे खुबसूरत अगर कोई है तो वो माँ है उसे दर्द (दुःख) मत दो l

सबसे बड़ी आलोचक ,लेकिन फिर भी सबसे अच्छी सहयोगी है

‘माँ’ जिसकी कोई परिभाषा नहीं,

जिसकी कोई सीमा नहीं,

जो भगवान से भी बढ़कर है

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