मित्रों लाल किताब में दूसरा भाव हमारी ससुराल का होता है इसिकार्न ये माना गया है की जिसभी जातक की कुंडली में शुक्र दुसरे भाव में हो उसे ससुराल से धन लाभ की प्राप्ति होती है| जातक की रूपवती और अच्छे कुल खानदान से होती है| यहाँ का शुक्र जातक की वाणी को मीठा बनाता है| जातक की आँखे सुंदर होती है| जातक को अपनेकुल कुटुंब का सहयोग और साथ मिलता है परिवार के लोगों के साथजातक के सम्बन्ध मधुर रहते है|
जातक और उसकी पत्नी आपस में अति मोह रखते है| जातक अपनी पत्नी की सभी इच्छाओं को पूरी करने की कोसिस करता है | एक तरह से जातक की पत्नी उसके भाग्य उदय में सहायक होती है और उसे खुस रखना जातक को हमेशा लाभ देता है|
चूँकि लाल किताब के अनुसार ये भाव बिर्हस्पती का पक्का घर है इसिलिय जातक की धार्मिक भावना बहुत बढ़ जाती है| वो दान पुण्य में विस्वास करने वालाहोता है|जातकके घर में भी किसी न किसी देवी या देवता की पूजा नियमित रूप से की जाती है| इस भाव के शुक्र वाला जातक किसी न किसी विद्या के माध्यम से धन अर्जित करता है| लेकिन जातक धन कमाने के लिय किसी प्रकार के कपट या छल का सहारा नही लेता|
लेकिन इन सभी शुभ फलों के साथ ही लाला किताब में कहा गया है की यदि ऐसा इंसान पराई औरत से सम्बन्ध बनाये या किसी से अंदरूनी तोर पर बुराई करे या सोने से सम्बन्धित कार्य करे तो जातक को शुक्र के शुभ फल नही मिलते| साथ ही ये हिदायत भी दी गई है की ऐसे इंसान को हमेशा गौमुखी मकान में निवास करना चाहिए | यदि कोई दुसरे शुक्र वाला इंसान शेरमुखी मकान में निवास करता है तो उसको अशुभ फल मिलते है| ऐसा भी मना गया है की कोई विधवा औरत ऐसे इंसान की बर्बादी का कारण बनती है इसिलिय उनसे बचकर रहने की जातक को सलाह दी जाती है| यदि शुक्र अशुभफल दे रहा है तो दो किलो आलू उबालकर ठन्डे होनेपर गाय को शुक्रवार को खिलाये|
गुरु शुक्र का योग ज्यादा शुभ फल नही देता | जातक के पास बाहर से जितनी दिखावे की दौलत नजर आती है वास्तव में उसकेपास उतनी होती नही | इन दोनों के योग को बुर के लड्डू की संज्ञा दी गई है|
सूर्य शुक्र का योग जातक को शुभ फल नही देता| जातक की पत्नी को खून से सम्बन्धित बिमारी होने के योग बन जाते है| पारिवारिक जीवन ज्यादा खुशहाल नही रहता|
शुक्र चन्द्र का योग जातक की वाणी कुल कुटुंब के लिय अच्छा होता है | जातक की आँखे सुंदर होती है| फिर भी सास बहु का झगड़ा होता है|
मंगल शुक्र का योग जातक को वासना में लिप्त कर देता है| जातक अपने हाथों से अपनी शक्ति को नस्ट करने लग जाता है| यदि शुक्र लग्नेश हो तो इन दोनों केयोग से जातक को ससुराल से धन लाभ के योग अवस्य बन जाते है|
बुद्ध शुक्र का योग जातक को शुभ फल देता है यदि जातक का चाल चलन का सही हो| जातक को व्यापार में भी लाभ मिलता है| मिटटी से जुड़े हुवे कार्य में जातक को विशेष लाभ मिलता है|
शुक्र शनी का योग ससुराल वालों के लिय शुभ नही होता| साथ ही शुक्र के साथ शनी याराहू का योग कई बार जातक को व्यसनी भी बना देता है|
शुक्र के साथ राहू या केतु होने से जातक की पत्नी को स्वास्थ्य की दिक्कत रहती है और कई बार ऐसी बिमारी हो जाती है जो डॉक्टर को समझ ही आती|
इस तरह शुक्र के इस भाव में शुभ फल ही अधिकतर जातक कोमिलते है| लाला किताब में इसे मोह माया से भरपूर ग्रहस्थ की संज्ञा दी गई है
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