भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के बारे में यह माना जाता है कि इन दोनों के बीच प्रेम संबंध था। जबकि असलियत यह है कि कृष्ण और राधा के बीच प्रेम से बढ़कर भी एक नाता था। यह नाता है पति-पत्नी का।
लेकिन इस रिश्ते के बारे में सिर्फ तीन लोगों को पता था एक तो कृष्ण, दूसरी राधा रानी और तीसरे ब्रह्मा जी जिन्होंने कृष्ण और राधा का विवाह करवाया था। लेकिन इन तीनों में आपके कोई भी इस बात की गवाही देने नहीं आएगा।
लेकिन जिस स्थान पर इन दोनों का विवाह हुआ था वहां के वृक्ष आज भी राधा कृष्ण के प्रेम और मिलन की गवाही देते हैं।
तब राधा कृष्ण का विवाह संपन्न हुआ…..
गर्ग संहिता के अनुसार मथुरा के पास स्थित भांडीर वन में भगवान श्री कृष्ण और देवी राधा का विवाह हुआ था। इस संदर्भ में कथा है कि एक बार नंदराय जी बालक श्री कृष्ण को लेकर भांडीर वन से गुजर रहे थे। उसे समय आचानक देवी राधा प्रकट हुई। देवी राधा के दर्शन पाकर नंदराय जी ने श्री कृष्ण को राधा जी की गोद में दे दिया।
श्री कृष्ण बाल रूप त्यागकर किशोर बन गए। तभी ब्रह्मा जी भी वहां उपस्थित हुए। ब्रह्मा जी ने कृष्ण का विवाह राधा से करवा दिया। कुछ समय तक कृष्ण राधा के संग इसी वन में रहे। फिर देवी राधा ने कृष्ण को उनके बाल रूप में नंदराय जी को सौंप दिया।
राधा जी की मांग में सिंदूर……
भांडीर वन में श्री राधा जी और भगवान श्री कृष्ण का मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर में स्थित विग्रह अपने आप अनोखा है क्योंकि यह अकेला ऐसा विग्रह है जिसमें श्री कृष्ण भगवान राधा जी की मांग में सिंदूर भरते हुए दृश्य हैं।
यहां सोमवती अमावस्या के अवसर पर मेला लगता है। किवदंती है कि भांडीर वन के भांडीर कूप में से हर सोमवती अमावस्या के दिन दूध की धारा निकलती है। मान्यता है कि इस अवसर पर यहां स्नान पूजा करने से निःसंतान दंपत्ति को संतान सुख मिलता है।
आज भी सुनाई देती है बंसी की तान…..
भांडीर वन के पास ही बंसीवट नामक स्थान है। कहते हैं भगवान श्री कृष्ण यहां पर गायों को चराने आया करते थे।
देवी राधा यहां पर श्री कृष्ण से मिलने और बंसी की तान सुनने आया करती थी। यहां मंदिर के वट वृक्ष के विषय में मान्यता है कि अगर आप कान लगकर ध्यान से सुनेंगे तो आपको बंसी की ध्वनि सुनाई देगी।
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