भाग्य और कर्म में बड़ा कौन है?
उत्तर–कर्म ही तो भाग्य है।
हमारे कर्म का जो फल आता है उसी का नाम भाग्य रख दिया गया हमारे कर्म जैसे होंगे, वैसे भाग्य होगा।
वैसे उसके फल आएंगे।
कर्म हमने दूषित किये उसका फल दुखमय ही होगा।
लेकिन वर्तमान के मालिक बनकर हम उसको बदलना चाहे तो बदल सकते हैं। सारा भविष्य बदल देंगे।
“अत्ता ही अत्तनो नाथो
अत्ताहि अत्तनो गति”
व्यक्ति स्वयं अपना मालिक है और स्वयं अपनी गति बनाता है, अपना भाग्य बनाता है।
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बहुत अच्छी बात लिखी है