परिचय।पुराणों में बुध ग्रह चन्द्रमा की पत्नी रोहिणी का पुत्र हैं।श्राद्धदेव वैवस्वत मनु की पुत्री इला बुध की पत्नी हैं।इला के गर्भ से उत्त्पन्न तथा पुरुरवा के नाम से प्रसिद्द बुध के धर्मात्मा पुत्र ने 100 से भी अधिक अश्वमेघ यज्ञ किये थें।
आकाश मण्डल में शुक्र से दो लाख योजन ऊपर बुध की स्थिति मानी गई है।जिस समय यह सूर्य की गति का उलंघन करते हुवे राशि संचरण करता है।उस समय पृथ्वी पर बादल आंधी अथवा सुखा का भय उपस्थित होने का सूचक बनता है।सूर्य ने बुध को गुरु का दूत नियुक्त कर उन्हें वक्तृत्व शक्ति उड़ने की शक्ति एवं गति प्रदान किया।
पृथ्वी से इनकी दुरी 36841467 मिल दूर हैं।सौर मण्डल में ये सबसे छोटा ग्रह हैं।
बुध को काल पुरुष की वाणी कहा गया है।अतः वाणी विद्या तथा बुद्धि का प्रतिक है।ग्रह मण्डल में इनको राजकुमार का पद प्राप्त है।
इनका अधिपत्य हाथ पांव त्वचा विद्या बुद्धि चातुर्य वाणी शिल्प व्यवसाय था गणित का अधिपति माना जाता है।
कूटनीति तार्किक महान प्रतिभाशाली ज्योतिषी लेखक सम्पादक प्रकाशक पंडित वैज्ञानिक व्यवसायी अध्यापक चिकित्सक इंजीनियर अकाउंटेंट अभिनेता खिलाडी हास्य के अधीन माने गए हैं।
बुध प्रधान व्यक्तियों का भाग्योदय 32 वें वर्ष में होता है।
बुध कुंडली में कारक हो तो पन्ना धारण करे।
और अकारक हो तो बुध की शांति और गणेश जी की पूजा करे।गाय को हरा चारा खिलाएं।
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