आठ और बारह मुखी दीपक भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए और साथ में पीली सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए सोलह बत्तियों का दीपक जलाना चाहिए।
लक्ष्मीजी की प्रसन्नता के लिए सात मुखी घी का दीपक जलाना चाहिए।
भगवान विष्णु की दशावतार आराधना के समय दस मुखी दीपक जलाना चाहिए।
इष्ट सिद्धी, ज्ञान प्राप्ति के लिए गहरा और गोल दीपक प्रयोग में लेना चाहिए।
शत्रुनाश, आप्ती निवारण के लिए मध्य में से ऊपर उठा हुआ दीपक प्रयोग में लेना चाहिए।
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए दीपक सामान्य गहरा होना चाहिए।
हनुमान भगवान की प्रसन्नता के लिए तिकोने दीपक का प्रयोग करना चाहिए और उसमें चमेली के तेल का प्रयोग कर दीपक जलाना चाहिए।
सर्व प्रकार की साधनाओं में मूंग, चावल, गेहूं, उड़द और ज्वार को सामान्य भाग में लेकर इसके आटे का दीपक श्रेष्ठ होता है।
किसी-किसी साधना में अखंड जोत जलाने का भी विशेष्ा विधान है जिसे शुद्ध गाय के घी और तिल के तेल के साथ भी जलाया जा सकता है।
विशेष्ात: यह प्रयोग आश्रमों और देव स्थानों के लिए प्रयोग करना चाहिए।
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