स्वास्थय

बवासीर (पाइल्स), पेट दर्द, सूखी खांसी, दांतों का दर्द (2)

Written by Bhakti Pravah

24 हृदय की दुर्बलता :- *अमरूद को कुचलकर उसका आधा कप रस निकाल लें। उसमें थोड़ा-सा नींबू का रस डालकर पी जाए।
*अमरूद में विटामिन-सी होता है। यह हृदय में नई शक्ति देकर शरीर में स्फूर्ति पैदा करता है। इसे दमा व खांसी वाले न खायें।”

25 खांसी और कफ विकार :- *यदि सूखी खांसी हो और कफ न निकलता हो तो, सुबह ही सुबह ताजे एक अमरूद को तोड़कर, चाकू की सहायता के बिना चबा-चबाकर खाने से खांसी 2-3 दिन में ही दम तोड़ देती है।
*अमरूद का रस भवक यन्त्र द्वारा निकालकर उसमें श
हद मिलाकर पीने से भी सूखी खांसी में लाभ होता है।
*यदि बलगम खूब पड़ता हो और खांसी अधिक हो, दस्त साफ न हो हल्का बुखार भी हो तो अच्छे ताजे मीठे अमरूदों को अपनी इच्छानुसार खायें।
*यदि जुकाम की साधारण खांसी हो तो अधपके अमरूद को आग में भूनकर उसमें नमक लगाकर खाने से लाभ होता है।”

26 वमन (उल्टी) :- अमरूद के पत्तों के 10 ग्राम काढ़े को पिलाने से वमन या उल्टी बंद हो जाती है।

27 तृष्ण (अधिक प्यास लगना) :- अमरूद के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर पानी में डाल दें। कुछ देर बाद इस पानी को पीने से मधुमेह (शूगर) या बहुमूत्र रोग के कारण तृष्ण में उत्तम लाभ होता है।

28 अतिसार (दस्त) :- *बच्चे का पुराना अतिसार मिटाने के लिए इसकी 15 ग्राम जड़ को 150 ग्राम पानी में ओटाकर, जब आधा पानी शेष रह जाये तो 6-6 ग्राम तक दिन में 2-3 बार पिलाना चाहिए।
*कच्चे अमरूद के फल उबालकर खिलाने से भी अतिसार मिटता है।
*अमरूद की छाल व इसके कोमल पत्तों का 20 मिलीलीटर क्वाथ पिलाने से हैजे की प्रारिम्भक अवस्था में लाभ होता है।”

29 प्रवाहिका :- अमरूद का मुरब्बा प्रवाहिका एवं अतिसार में लाभदायक है।

30 गुदाभ्रंश (गुदा से कांच का निकलना) :- *बच्चों के गुदभ्रंश रोग पर इसकी जड़ की छाल का काढ़ा गाढ़ा-गाढ़ा लेप करने से लाभ होता है।
*तीव्र अतिसार में गुदाभ्रंश होने पर अमरूद के पत्तों की पोटली बनाकर बांधने से सूजन कम हो जाती है और गुदा अंदर बैठ जाता है।
*आंतरिक प्रयोग के लिए अमरूद और नागकेशर दोनों को महीन पीसकर उड़द के समान गोलियां बनाकर देनी चाहिए।
*अमरूद के पेड़ की छाल, जड़ और पत्ते, बराबर-बराबर 250 ग्राम लेकर पीसकर रख लें तथा 1 किलो पानी में उबालें, जब आधा पानी शेष रह जायें, तब इस काढ़े से गुदा को बार-बार धोना चाहिए और उसे अंदर धकेलें। इससे गुदा अंदर चली जायेगी।
*अमरूद के पेड़ की छाल 50 ग्राम, अमरूद की जड़ 50 ग्राम और अमरूद के पत्ते 50 ग्राम को मिलाकर कूटकर 400 ग्राम पानी में मिलाकर उबाल लें। आधा पानी शेष रहने पर छानकर गुदा को धोऐं। इससे गुदाभ्रंश (कांच निकलना) ठीक होता है।
*अमरूद के पत्तों को पसकर इसके लुगदी (पेस्ट) गुदा को अंदर कर मलद्वार पर बांधने से गुदा बाहर नहीं निकलता है।”

31 घुटनों के दर्द में :- अमरूद के कोमल पत्तों को पीसकर गठिया के वेदना युक्त स्थानों पर लेप करने से लाभ होता है।

32 विषम ज्वर या मलेरिया बुखार :- विषम ज्वर या मलेरिया बुखार

33 बुखार :- अमरूद के कोमल पत्तों को पीस-छानकर पिलाने से ज्वर के उपद्रव्य दूर होते है।

34 विदाह (पित्त की जलन) में :- अमरूद के बीज निकालकर पीसकर गुलाब जल और मिसरी मिला कर पीने से अत्यंत बढ़े हुए पित्त और विदाह की शांति होती है।

35 भांग या धतूरे का नशा :- अमरूद के पत्तों के स्वरस को भरपेट पिलाने से या अमरूद खाने से भांग, धतूरा आदि का नशा दूर हो जाता है

36 पेट की गैस बनना :- अदरक का रस एक चम्मच, नींबू का रस का आधा चम्मच और शहद को डालकर खाने से पेट की गैस में धीरे-धीरे लाभ होता हैं।

37 मुंह के छाले :- *रोजाना भोजन करने के बाद अमरूद का सेवन करने से छाले में आराम मिलता है।
*अमरूद के पत्तों में कत्था मिलाकर पान की तरह चबाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।”

38 दस्त :- *अमरूद के पेड़ की कोमल नई पत्तियों को पानी में उबालकर, छानकर थोड़ी-थोड़ी-सी मात्रा में पकाकर पीने से अतिसार का आना रुक जाता है।
*अमरूद में मिश्री डालकर या अमरूद और मिश्री का सेवन करने से दस्त का आना बंद हो जाता हैं।
*अमरूद के पेड़ की 10 पत्तियां, नींबू की 2 पत्तियां, तुलसी की 3 पत्तियों को बराबर मात्रा में लेकर एक कप पानी में डालकर काढ़ा बनाकर पीने से राहत मिलती है।”

39 मुंह का रोग :- मुंह के रोग में जौ, अमरूद के पत्ते एवं बबूल के पत्ते। इस सबको जलाकर इसके धुंए को मुंह में भरने से गला ठीक होता है तथा मुंह के दाने नष्ट होते हैं।

40 अग्निमान्द्यता (अपच) के लिए :- अमरूद के पेड़ की 2 पत्तियों को चबाकर पानी के साथ सेवन करने से आराम होता हैं।

41 प्यास अधिक लगना :- अमरूद, लीची, शहतूत व खीरा खाने से प्यास का अधिक लगना बंद हो जाता है।

42 मधुमेह के रोग :- पके अमरूद को आग में डालकर उसे निकाल लें, और उसका भरता बना लें, उसमें अवश्कतानुसार नमक, कालीमिर्च, जीरा, मिलाकर सेवन करें। इससे मधुमेह रोग से लाभ होता है।

43 योनि की जलन और खुजली :- अमरूद के पेड़ की जड़ को पीसकर 25 ग्राम की मात्रा में लेकर 300 ग्राम पानी में डालकर पका लें, फिर इसी पानी को साफ कपड़े की मदद से योनि को साफ करने से योनि में होने वाली खुजली समाप्त हो जाती है।

44 गठिया रोग :- गठिया के दर्द को सही करने के लिए अमरूद की 5-6 नई पत्तियों को पीसकर उसमें जरा-सा काला नमक डालकर प्रतिदिन सेवन करने से रोगी को लाभ मिलता है।

45 फोड़े-फुंसियों के लिए :- अमरूद की थोड़ी सी पत्तियों को लेकर पानी में उबालकर पीस लें। इस लेप को फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।

46 विसर्प-फुंसियों का दल बनना :- 4 हफ्तों तक रोजाना दोपहर में 250 ग्राम अमरूद खाने से पेट साफ होता है, पेट की गर्मी दूर होती है, खून साफ होता है जिससे फुंसिया और खुजली भी दूर हो जाती है।

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