प्रतिदिन स्नान स्वस्थ, सुंदर शरीर और अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। जो लोग रोज़ नहाते हैं, उन्हें स्वास्थ्य की दृष्टि से कई लाभ प्राप्त होते हैं। स्नान से जहां थकान और तनाव घटता है वहीं मन प्रसंन्न और शरीर भी ऊर्जावान रहता है। हमारे शास्त्रों और आयुर्वेद में नित्य स्नान के बहुत से फायदे बताए गए हैं। यदि हम सूर्योदय के समय या उससे पहले स्नान करते हैं तो यह धर्म की नजरिए से बहुत शुभ होता है। पुराने समय में विद्वान और ऋषि-मुनि सूर्योदय से पूर्व या ठीक सूर्योदय के समय स्नान करते थे और स्नान के बाद भगवान सूर्य को अर्ध्य अर्पित करते थे। इस प्रकार की गई दिन की शुरुआत से पूरे दिन कार्यों में सफलता और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
नित्य सूर्योदय से पूर्व पूर्व तारों की छावं में स्नान करने से निसंदेह ही माँ लक्ष्मी की कृपा, तेज बुद्धि और चमकती दमकती त्वचा प्राप्त होती है । इस समय स्नान करने से अनेकों परेशानियों और ग्रहों के दुष्प्रभाव से भी मुक्ति मिलती है। स्नान करते समय गुरू मंत्र, स्तोत्र, कीर्तन, भजन या भगवान के नाम का जाप करें ऐसा करने से अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है।
स्नान करते समय सर्वप्रथम सिर पर पानी डालना चाहिए बाद में पूरे शरीर पर। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं। ऐसे स्नान करने से सिर और शरीर की गर्मी पैरों के माध्यम से निकल जाती है।
नहाने के तुरंत बाद प्रतिदिन सूर्य को जल अवश्य ही अर्पित करना चाहिए। सूर्य देव को नित्य जल चढ़ाने से जातक को मान-सम्मान, सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। सूर्य देव को जल चढ़ाते हुए पानी के बीच से भगवान सूर्य को देखना चाहिए इससे हमारी आँखों की रौशनी बढ़ती है। सूर्य की किरणों में विटामिन डी के भी कई गुण होते है इससे व्यक्ति की त्वचा में भी एक आकर्षक चमक आती है।
शास्त्रों में समय अनुसार स्नान के कई प्रकार और नहाने की एक विशेष विधि भी बताई गई है। यदि मनुष्य इस विधि से सही समय पर नहाए तो चमत्कारिक रूप से शुभ फलों की प्राप्ति होती हैं।
ब्रह्म स्नान- ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का अति विशेष महत्व है । ब्रह्म मुहूर्त में अर्थात सुबह सुबह लगभग 4-5 बजे जो स्नान भगवान का मनन चिंतन करते हुए, विभिन्न मन्त्रों का जाप करते हुए किया जाता है, उसे ब्रह्म स्नान कहते हैं।माना जाता है कि इस समय जल में सारे देवता वा तीर्थ वास करते है इसलिए इस समय स्नान करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है।ऐसा स्नान करने वाले व्यक्त्ति को ईश्वर की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन के सभी संकट दूर रहते है।
देव स्नान – वर्तमान समय में अधिकतर लोग सूर्योदय के बाद ही स्नान करते हैं। जो लोग सूर्योदय के तुरंत बाद किसी नदी में या घर पर ही विभिन्न नदियों के नामों का, विभिन्न मंत्रों का जप करते हुए स्नान करते हैं तो उस स्नान को देव स्नान कहते है। ऐसे स्नान से निश्चित ही व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
ऋषि स्नान – यदि कोई व्यक्ति सुबह-सुबह, जब आकाश में तारे दिखाई दे रहे हों और उस समय ईश्वर के ध्यान करते हुए स्नान करें तो उस स्नान को ऋषि स्नान कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय से पूर्व किए जाने वाले सभी स्नान श्रेष्ठ होते हैं।
दानव स्नान-आज के युग में बहुत से लोग सूर्योदय के बाद चाय-नाश्ता करके खा पी के बाद स्नान करते हैं, ऐसे स्नान को दानव स्नान कहते है। ऐसे स्नान करने वाले व्यक्तियों को जीवन में बहुत अस्थिरताओं का सामना करना पड़ता, उनके दिमाग में बहुत परेशानियाँ, तनाव रहता है । शास्त्रों के अनुसार हमें ब्रह्म स्नान, देव स्नान या ऋषि स्नान ही करना चाहिए। यही स्नान ही सर्वश्रेष्ठ स्नान कहे गए हैं।
यह भी ध्यान रखें कि शाम या रात के समय स्नान नहीं करना चाहिए। इससे दरिद्रता आती है, लेकिन यदि सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण का दिन हो तो उस स्थिति में रात के समय स्नान किया जा सकता है।
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