देवपूजन का हिन्दू धर्म विशेष स्थान है ।युगों युगों से हम देवताओं का पूजन करते आए हैं और अनंत काल तक करते रहेंगे लेकिन उत्तम फल की प्राप्ति हेतु देवपूजन करते वक़्त कुछ बातों के बारे में बताने जा रही हूँ,जिनको ध्यान में रखना चाहिए तांकि पूजा फलित हो
१. देवपूजा उत्तरमुख होकर तथा पितृपूजा दक्षिणमुख होकर करनी चाहिए ।
२.केश खोलकर आचमन और देवपूजन नहीं करना चाहिए ।
३.घर में टूटी फूटी और अग्नि से जली हुई प्रतिमा की पूजा नहीं करनी चाहिए ।
४.सूर्य को नमस्कार प्रिय है,विष्णु को स्तुति प्रिय है,गणेश को तर्पण प्रिय है,दुर्गा को अर्चना प्रिय है,और शिव को अभिषेक प्रिय है ।अतः इन देवताओं को प्रसन्न करने के लिए इनके प्रिय कार्य ही करने चाहिए ।
५.घी का दीपक देवता के दा यें भाग में और तेल का दीपक बाएं भाग में रखना चाहिए ।
६.अँधेरी रात में बिना दीपक जलाये भगवान के विग्रह का स्पर्श करना,शमशान भूमि से लौटकर बिना नहाये भगवन का स्पर्श करना,मदिरा या मास का सेवन करके भगवान की पूजा करना,दूसरों के वस्त्र पहनकर भगवान की पूजा करना भगवान को बिना चन्दन और माला अर्पण किये हे भगवान को जगाना -ये सब अपराध हैं
७. सूखे पत्तों,फलों और फूलों से कभी भी देवपूजन नहीं करना चाहिए ।
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