ज्योतिष

तीसरे भाव में शुक्र

Written by Bhakti Pravah

तीसरे भाव का सम्बन्ध ज्योतिष में हमारे होसले और महनत से लिया जाता है मुख्य रूप से और इस भाव में शुक्र होने पर जातक के होसले में किसी न किसी प्रकार की कमी पाई जाती है| जातक में आत्मविश्वास की भी कमी होती है| साथ ही जातक आल्क्सी भी हो जाता है| चूँकि तीसरे भाव का कारक ग्रह मंगल होता है और इस भाव में शुक्र होने पर जातक की पत्नी मर्द के समान जातक की हर मुसीबत में कंधे से कंधा मिलाकर साथ देने वाली होती है| जातक पर आने वाली किसी भी मुशीबत को अपने उपर पहले लेने वाली होती है लेकिन शुक्र यानी की पत्नी में मंगल यानी की पुरुष के ज्यादा गुण होने केकारण जातक को अपनी पत्नी से पूर्ण रूप से शारीरिक सुख नही मिल पाता| यहाँ शुक्र के समय यदि जातक पराई औरत के चक्कर में पड़ता है तो उसको उपरलिखित पत्नी से साथ मिलना के योग कम हो जाता है|

लाल किताब में इस भाव के शुक्र को प्यार का परवाना की संज्ञा दी गई है यानी इस भाव के शुक्र के लिय स्त्री खुद आगे बढ़कर जातक को अपने प्रेम के जाल में फैसाना चाहती है| जातक के जीवन में कई स्त्री आने के योग बन जाते है| और यदि जातक इन स्त्रियों के जाल में फंस जाता है तो उसे खुद की स्त्री का भी सम्पूर्ण सुख नही मिल पाता साथ में धन की हानि के योग अवस्य बन जाते है | चूँकि जातक में भी भी स्नेह प्रेम का भाव पाया जाता है ऐसा प्रेम स्नेह नही जो एक माता अपने पुत्र से करती है बलिक ऐसा जो एक प्रेमिका अपने प्रेमी से करती है|

शुक्र गुरु तीसरे भाव में हो और जातक दूसरों की खुशामंद करे तो ये जातक के लिय शुभ नही होता | वैसे इन दोनों का योग जातक को अशुभ फल नही देता|
सूर्य शुक्र का योग जातक के विवाहिक जीवन में किसी प्रकार की कमी कर देता है हालांकि जातक में आत्मविश्वास बढ़ जाता है|

शुक्र चन्द्र का योग ज्यादाअशुभ फल नही देता| यदि किसी पाप ग्रह या शत्रु ग्रह की दृष्टी इन दोनों पर हो तो फिर जातक की माँ और पत्नी के सम्बन्ध अच्छे नही रह पाते|
शुक्र मंगल का योग होने पर शुभ फल मिलते है| जातक अपने भाई बहनों की सहायता करने वाला होता है| यदि इन दोनों पर राहू या केतु की दृष्टी पडती हो तो जातक दिन रात मुशीबत पर मुशीबत झेलता है | जातक की पत्नी को भी काफी समस्या का सामना करना पड़ता है|

बुद्ध शुक्र का योग शुभ फल ही देता है लेकिन यदि जातक अपने ससुराल पक्ष के किसी आदमी कोअपने व्यवसाय में साझेदार बना ले तो वे जातक का धन खा पि कर चलते बनते है|
शुक्र शनी का योग जातक और उसकी पत्नी का आराम पसंद बनाते है| दोनों ही कम महनत करना चाहते है|

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