कहते हैं पूजा से मन को शांति व एकाग्रता मिलती है। इसीलिए लोग अपने घर में अक्सर किसी त्यौहार या विशेष उपलक्ष्य पर पूजन का आयोजन करते हैं। पूजन के समय सर्वप्रथम श्री गणेश का पूजन किया जाता है। गणेशजी की मुर्ति की स्थापना के साथ ही पूजा की सुपारी में भी गणेश जी का आवाह्न किया जाता है क्योंकि पूजन के समय सबसे पहले गौरी व गणेश की स्थापना जरूरी मानी जाती है।
गणेशजी का आवाह्न पूजा की सुपारी में किया जाता है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार पूजा की सुपारी को पूर्ण फल माना जाता है। पूजा की सुपारी पूर्ण व अखंडित होती है। इसीलिए इसको पूजा के समय गौरी-गणेश का रूप मानकर उस पर जनेऊ चढ़ाई जाती है।
बाद में उस पूजा की सुपारी का क्या करें अधिकतर लोगों के मन में यही दुविधा रहती है? कहा जाता है कि पूजा सुपारी को पूजन के बाद तिजोरी में रखना चाहिए क्योंकि शास्त्रों के अनुसार यह मान्यता है कि जहां गणेशजी यानी बुद्धि के स्वामी का निवास होता है वहीं लक्ष्मी का निवास होता है। इसीलिए पूजा सुपारी को पूजन के बाद तिजोरी में रखना चाहिए क्योंकि इससे घर में सुख-समृद्धि बढऩे के साथ ही घर में लक्ष्मी का स्थाई निवास होता है।
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