यंत्र का तात्पर्य चेतना अथवा सजगता को धारण करने का माध्यम या उपादान है । ये ज्यामितीय आकृतियों के होते हैं, जो त्रिभुज, अधोमुखी, त्रिभुज, वृत्त, वर्ग, पंचकोण, षटकोणीय आदि आकृतियों के होते हैं । मंडल का अर्थ वर्तुलाकर आकृति होता है, जो ब्रह्मंडीय शक्तियों से आवेशित होती है । यंत्र की नित्य पूजा उपासना और दर्शन से व्यक्ति को अभीष्ट की पूर्ति तथा इष्ट की कृपा होती है
। इन्हीं अनुभवों को ध्यान में रखते हुए हमारे पूर्वज मनीषियों ने यंत्रों का निर्माण सर्वसाधारण के लात्र हेतु किया । ध्यान रखें कि यंत्रों को प्राणप्रतिष्ठित कराकर ही पूजास्थल में रखना चाहिए , तभी वे फलदायी होंगे ।
भुवनेश्वरी कर्म चंडिका में लिखा है कि भगवान शिव ने देवी पार्वती से कहा – हे प्रिय पार्वती ! जैसे प्राणी के लिए शरीर आवश्यक है और दीपक के लिए तेल आवश्यक है, ठीक उसी प्रकार देवताओं के लिए यंत्र आवश्यक हैं ।
कुछ प्रसिद्ध प्रमुख यंत्रों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है –
श्रीयंत्र – इस यंत्र से श्रीवृद्धि अर्थात् लक्ष्मी जी की अपार कृपा होती है और धन की कमी नहीं रहती । इसके दर्शनमात्र से अनेक यज्ञों का फल प्राप्त होता है । इसकी पूजा अर्चना करने से अल्पसमय में ही मनचाही कामना पूरी होती है । घर में धन – धान्य भरपूर रहता है ।
श्रीमहीमृत्युंजय – मारक दशाओं के लगने के पूर्व इसकी आराधना से प्राणघातक दुर्घटना, संकट, बीमारी, नजदीक नहीं आती ।
यंत्र – महामारी, मारकेश, अकाल मौत, अनिष्टग्रहों का दोष, शत्रुभय, मुकदमेबाजी आदि का निवारण होता है ।
बगलामुखी यंत्र – शत्रुओं के विनाश या दमन के लिए, वाद – विवाद या मुकदमे में विजय पाने हेतु व बाधाओं को दूर करने के लिए यह यंत्र महान सहायक सिद्ध होता है । मान सम्मान के साथ सुख समृद्धि प्राप्त होती है ।
बीसायंत्र – जिसके पास बीसायंत्र होता है, भगवान उसकी हर प्रकार से सहायता करते हैं । साधकों की हर मुश्किल आसान हो जाती है । प्रात: उठते ही उसके दर्शन करने से बाधाएं दूर होकर कार्यों में सफलता मिलती है और मान सम्मान की प्राप्ति होती है ।
श्रीकनकधारायंत्र – लक्ष्मीप्राप्ति के लिए और दरिद्रता दूर करने के लिए यह रामबाण यंत्र है । यह यंत्र अष्टसिद्धि व नवनिधियों को देने वाला है ।
कुबेर यंत्र – धन के देवता कुबेर की कृपा से धन की प्राप्ति होती है । दरिद्रता के अभिशाप से मुक्ति मिलती है ।
श्रीमहालक्ष्मी – इसकी अधिष्ठात्री देवी कमल हैं, जिनके दर्शन व पूजन से घर में लक्ष्मी का स्थायी वास होता है ।
सूर्ययंत्र – सदैव स्वस्थ रहने की आकांक्षा हो, तो भगवान सूर्य की प्रार्थना करनी चाहिए । इससे तमाम रोगों का शमन होता है और व्यक्तित्व में तेजस्विता आती
है ।
श्रीगणेशयंत्र – इससे विभिन्न प्रकार की उपलब्धियां और सिद्धियां मिलती हैं । धन की प्राप्ति, अष्ट सिद्धि एवं नवनिधि की प्राप्ति हेतु भी इसका प्रयोग होता है ।
श्रीमंगलयंत्र – इसकी उपासना से उच्च रक्तचाप एवं मंगलग्रह जनित रोगों का निवारण होता है । इसमें ऋणमुक्ति की अद्वितीय क्षमता होती है ।
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