हिमाचल प्रदेश को देवों की भूमि कहा जाता है। यहां पर कई देवी-देवताओं के प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर हैं। माता के 51 शक्तिपीठों में से 3 हिमाचल प्रदेश में भी हैं। जिनके महत्व और चमत्कारों के बारे में कई पुराणों में उल्लेख मिलता है।वज्रेश्वरी देवी शक्ति पीठ इनमे से एक है |माता का वज्रेश्वरी देवी शक्तिपीठ हिमाचल प्रदेश की कागंड़ा नाम की जगह पर है। इस जगह को नगह कोट की रानी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर सती माता के वक्षस्थल यानी स्तन गिरे थे। यहां माता की पूजा पिंड़ी के रूप में की जाती है। वज्रेश्वरी देवी को दशमहाविद्याओं में भी गिना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, कांगड़ा के पहले शासक भूमिचंद थे और इस मंदिर का निर्माण उन्होंने ही करवाया था।वज्रेश्वरी देवी के मंदिर में भैरव देवता की एक चमत्कारी मूर्ति भी है। इस भैरव प्रतिमा की यह विशेषता है कि जब भी इस क्षेत्र में कोई भयानक संकट, आपत्ति या रोग संक्रमण आदि की आशंका होती है, तब इस मूर्ति की आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगती है या पूरे शरीर से पसीना बहने लगता है। तब तक बहता रहता है, जब तक वह विपत्ति खत्म न हो जाए। कहा जाता है कि भगवान भैरव की यह चमत्कारिक मूर्ति लगभग पांच हजार साल पुरानी है।वज्रेश्वरी माता के मंदिर में हर साल मकर संक्रांति पर एक विशेष परम्परा निभाई जाती है। हर साल मकर संक्राति पर देवी की पिंड़ी को 100 बार कुएं के पानी से धोकर, मक्खन, मेवों, घी आदि से सजाया जाता है। एक सप्ताह बाद इस मक्खन को उतार कर भक्तों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। मान्यता है कि, इसे शरीर के घावों पर लगाने से घाव ठीक हो जाते हैं।कैसे पहुंचें-कागंड़ा से लगभग 20 कि.मी. की दूरी पर गगल एयरपोर्ट है। कांगड़ा के लिए देश के लगभग सभी बड़े शहरों के रेल गाड़ियां चलती हैं।.
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