आज के समय मै जीविका चलाने के लिए व्यापार के क्षेत्र में सफलता व उन्नति प्राप्त करने के लिये व्यक्ति में अनेक गुण होने चाहिए, सभी गुण एक ही व्यक्ति में पाये जाने संभव नहीं है ! किसी के पास योग्यता है तो किसी व्यक्ति के पास अनुभव पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है ! अपनी कार्यशक्ति व दक्षता के सर्वोतम उपयोग करने पर ही इस व्यापार प्रतियोगिता में आगे बढने का साहस कर सकता है ! और यह जानकर ही व्यापार करे कि कोन सा ग्रह मेरे किस गुण में साहयक है तो सफलता सत्-प्रतिशत मिलेगी ! अब जानिए ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कौन से ग्रह से व्यक्ति में किस गुण का विकास होता है !
1-!! कामकाज की जानकारी व समझ !!
काम छोटा हों या बडा हों, उसे करने का तरीका सबका एक समान हों यह आवश्यक नहीं, प्रत्येक व्यक्ति कार्य को अपनी योग्यता के अनुसार करता है ! जब किसी व्यक्ति को अपने कामकाज की अच्छी समझ न हों तो उसे कार्यक्षेत्र में दिक्कतों का सामना करना पड सकता है ! व्यक्ति के कार्य को उत्कृ्ष्ट बनाने के लिये ग्रहों में गुरु ग्रह को देखा जाता है ! कुण्डली में जब गुरु बली होकर स्थिति हो तथा वह शुभ ग्रहों के प्रभाव में हों तो व्यक्ति को अपने क्षेत्र का उतम ज्ञान होने की संभावनाएं बनती है ! गुरु जन्म कुण्डली में नीच राशि में वक्री या अशुभ ग्रहों के प्रभाव में हों तो व्यक्ति में कामकाज की जानकारी संबन्धी कमी रहने की संभावना रहती है ! सभी ग्रहों में गुरु को ज्ञान का कारक ग्रह कहा गया है ! गुरु ग्रह व्यक्ति की स्मरणशक्ति को प्रबल करने में भी सहयोग करता है ! इसलिये जब व्यक्ति की स्मरणशक्ति अच्छी होंने पर व्यक्ति अपनी योग्यता का सही समय पर उपयोग कर पाता है !
2-!! कार्यक्षमता व दक्षता !!
किसी भी व्यक्ति में कार्यक्षमता का स्तर देखने के लिये कुण्डली में शनि की स्थिति देखी जाती है कुण्डली में शनि दशम भाव से संबन्ध रखते हों तो व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में अत्यधिक कार्यभार का सामना करना पड सकता है ! कई बार ऎसा होता है कि व्यक्ति में उतम योग्यता होती है ! परन्तु उसका कार्य में मन नहीं लगता है ! इस स्थिति में व्यक्ति अपनी योग्यता का पूर्ण उपयोग नहीं कर पाता है. या फिर व्यक्ति का द्वादश भाव बली हों तो व्यक्ति को आराम करना की चाह अधिक होती है ! जिसके कारण वह आराम पसन्द बन जाता है ! इस स्थिति में व्यक्ति अपने उतरदायित्वों से भागता है ! यह जिम्मेदारियां पारिवारिक, सामाजिक व आजिविका क्षेत्र संबन्धी भी हो सकती है ! शनि बली स्थिति में हों तो व्यक्ति के कार्य में दक्षता आती है.
3-!! कार्य के प्रति निष्ठा !!
जन्म कुण्डली के अनुसार व्यक्ति में कार्यनिष्ठा का भाव देखने के लिये दशम घर से शनि का संबन्ध देखा जाता है अपने कार्य के प्रति अनुशासन देखने के लिये सूर्य की स्थिति देखी जाती है ! शनि व सूर्य की स्थिति के अनुसार व्यक्ति में अनुशासन का भाव पाया जाता है ! शनि व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सजग बनाता है ! कुण्डली में शनि जब बली होकर स्थित होंने पर व्यक्ति अपने कार्य को समय पर पूरा करने का प्रयास करता है !
4-!! स्नेह, सहयोगपूर्ण व्यवहार !!
कई बार व्यक्ति योग्यता भी रखता है उसमें दक्षता भी होती है ! परन्तु वह अपने कठोर व्यवहार के कारण व्यवसायिक जगत में अच्छे संबध नहीं बना पाता है ! व्यवहार में मधुरता न हों तो कार्य क्षेत्र में व्यक्ति को टिक कर काम करने में दिक्कतें होती है ! चन्द्र या शुक्र कुण्डली में शुभ भावों में स्थित होकर शुभ प्रभाव में हों तो व्यक्ति में कम योग्यता होने पर भी उसे सरलता से सफलता प्राप्त हो जाती है ! अपनी स्नेहपूर्ण व्यवहार के कारण वह सबका शीघ्र दिल जीत लेता है ! बिगडती बातों को सहयोगपूर्ण व्यवहार से संभाल लेता है ! चन्द्र पर किसी भी तरह का अशुभ प्रभाव होने पर व्यक्ति में सहयोग का भाव कम रहने की संभावनाएं बनती है !
5-!! यान्त्रिक योग्यता !!
आज के समय में सफलता प्राप्त करने के लिये व्यक्ति को कम्प्यूटर जैसे: यन्त्रों का ज्ञान होना भी जरूरी हो ! किसी व्यक्ति में यन्त्रों को समझने की कितनी योग्यता है ! यह गुण मंगल व शनि का संबन्ध बनने पर आता है ! केतु को क्योकि मंगल के समान कहा गया है ! इसलिये केतु का संबन्ध मंगल से होने पर भी व्यक्ति में यह योग्यता आने की संभावना रहती है ! इस प्रकार जब जन्म कुण्डली में मंगल,शनि व केतु में से दो का भी संबन्ध आजिविका क्षेत्र से होने पर व्यक्ति में यन्त्रों को समझने की योग्यता होती है !
6-!! वाकशक्ति !!
बुध जन्म कुण्डली में सुस्थिर बैठा हों तो व्यक्ति को व्यापारिक क्षेत्र में सफलता मिलने की संभावनाएं बनती है !इसके साथ ही बुध का संबन्ध दूसरे भाव से भी बन रहा हों तो व्यक्ति की वाकशक्ति उतम होती है ! वाकशक्ति प्रबल होने पर व्यक्ति को इस से संबन्धित क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने में सरलता रहती है !
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