अध्यात्म

किस कारण से कष्ट आया, उसकी निवृत्ति का उपाय

Written by Bhakti Pravah

वृहत्त पाराशर होराशास्त्र में ऋषि पाराशर ने बहुत सारे उपाय बताए हैं जिनमें उन्होंने यह वर्णन किया है कि किस कारण से वह कष्ट आया है और उसकी निवृत्ति का क्या उपाय हैक् यह उपाय ज्यादातर मंत्र और दान पूजा-पाठ इत्यादि से संबंधित है। उन सब का संक्षिप्त विवरण इस लेख में दिया जा रहा है।

विभिन्न शाप : संतान नष्ट होने या संतान ना होने को विभिन्न तरह के शाप के परिणाम ऋषि पाराशरजी ने बताया है। ऋषि पाराशर जी ने उल्लेेख किया है कि भगवान शंकर ने स्वयं पार्वती जी को यह उपाय बताए हैं।

1. सर्प का शाप : बहुत सारे योगों से सर्प शाप का पता चलता है। उनमें राहु पर अधिक बल दिया गया है। कुल आठ योग बताए गए हैं। सर्प शाप से संतान नष्ट होने पर या संतान का अभाव होने पर स्वर्ण की एक नाग प्रतिमा बनाकर विधिपूर्वक पूजा की जाए जिसमें अनुष्ठान, दशांश हवन, मार्जन, तर्पण, ब्राह्मण भोजन कराके गोदान, भूमि दान, तिल दान, स्वर्ण दान इत्यादि किए जाएं तो नागराज प्रसन्न होकर कुल की वृद्धि करते हैं।

2. पितृ शाप : गतजन्म में पिता के प्रति किए गए अपराध से जो शाप मिलता है तो संतान का अभाव होता है। इस दोष का पता सूर्य से संबंधित योगों से चलता है और सूर्य के पीड़ित  होने या कुपित होने पर ये योग आधारित हैं। निश्चित है कि मंगल और राहु भी गणना में आएंगे। इसी को पितृ दोष या पितर शाप भी कहा गया है। कुल मिलाकर ग्यारह योग हैं। उपाय : गया श्राद्ध करना चाहिए तथा जितने अधिक ब्राह्मण को भोजन करा सकें, कराएं। यदि कन्या हो तो गाय का दान और कन्या दान करना चाहिए। ऎसे करने से कुल की वृद्धि होगी।

3. मातृ शाप : पंचमेश और चंद्रमा के संबंधों पर आधारित यह योग संतान का नष्ट होना या संतान का अभाव बताते हैं। इन योगों में निश्चित रूप से मंगल, शनि और राहु का योगदान मिलेगा। यह दोष कुल 13 मिलाकर हैं। इस जन्म में भी यदि कोई माता की अवहेलना करेगा या पीड़ित  करेगा तो अगले जन्म में यह दोष देखने को मिलेगा।

4. भ्रातृ शाप : यदि गतजन्म में भाई के प्रति कोई अपराध किया गया हो तो उसके शाप के कारण इस जन्म में संतान नष्ट होना या संतान का अभाव मिलता है। पंचम भाव, मंगल और राहु से यह दोष देखे जाते हैं। यह दोष कुल मिलाकर तेरह हैं। उपाय : हरिवंश पुराण का श्रवण करें, चान्द्रायण व्रत करें, कावेरी नदी या अन्य पवित्र नदियों के किनारे शालिग्राम के सामने पीपल वृक्ष उगाएं तथा पूजन करें, पत्नी के हाथ से दस गायों का दान करें और फलदार वृक्षों सहित भूमि का दान करें तो निश्चित रूप से कुल वृद्धि होती है।

5. मामा का शाप : गतजन्म में यदि मामा के प्रति कोई अपराध किया गया हो तो उसके शाप से संतान का अभाव इस जन्म में देखने को मिलता है। यदि ऎसा होता है कि पंचम भाव में बुध, गुरू, मंगल और राहु मिलते हैं और लग्न में शनि मिलते हैं। इस योग में शनि-बुध का विशेष योगदान होता है। उपाय : भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना, तालाब, बाव़डी, कुआ और बांध को बनवाने से कुल की वृद्धि होती है।

6. ब्रह्म शाप : गतजन्म में कोई धन या बल के मद में ब्राह्मण का अपमान करता है तो उसके शाप से इस जन्म में संतान का अभाव होता है या संतान नष्ट होती है। यह कुल मिलाकर सात योग हैं। नवम भाव, गुरू, राहु और पाप ग्रहों को लेकर यह योग देखने को मिलते हैं। योग का निर्णय तो विद्वान ज्योतिषी  ही करेंगे परंतु उपाय निम्न बताए गए हैं। उपाय : चान्द्रायण व्रत, प्रायश्चित करके गोदान, दक्षिणा, स्वर्ण और पंचरत्न तथा अधिकतम ब्राह्मण को भोजन कराएं तो शाप से निवृत्ति होकर कुल की वृद्धि होती है।

7. पत्नी का शाप : गतजन्म में पत्नी के द्वारा यदि शाप मिलता है तो इस जन्म में संतान का अभाव होता है। यह ग्यारह योग बताए गए हैं जो सप्तम भाव और उस पर पापग्रहों के प्रभाव से देखे जाते हैं। उपाय : कन्या दान श्रेष्ठ उपाय बताया गया है। यदि कन्या नहीं हो तो स्वर्ण की लक्ष्मी-नारायण की मूर्ति तथा दस ऎसी गाय जो बछ़डे वाली माँ हों तथा शैया, आभूषण, वस्त्र इत्यादि ब्राह्मण जो़डे को देने से पुत्र होता है और कुल वृद्धि होती है।

8. प्रेत शाप : यह नौ योग बताए गए हैं जिनमें ये वर्णन है कि अगर श्राद्ध का अधिकारी अपने मृत पितरों का श्राद्ध नहीं करता तो वह अगले जन्म में अपुत्र हो जाता है। इस दोष्ा की निवृत्ति के लिए निम्न उपाय हैं। उपाय : गया में पिण्डदान, रूद्राभिषेक, ब्रrाा की स्वर्णमय मूर्ति, गाय, चांदी का पात्र तथा नीलमणि दान करना चाहिए।

9. ग्रह दोष् : यदि ग्रह दोष् से संतान हानि हो तो बुध और शुक्र के दोष में भगवान शंकर का पूजन, गुरू और चंद्र के दोष् में संतान गोपाल का पाठ, यंत्र और औषधि का सेवन, राहु के दोष से कन्या दान, सूर्य के दोष से भगवान विष्णु की आराधना, मंगल और शनि के दोष से षडङग्शतरूद्रीय जप कराने से संतान प्राप्त होती है और कुल की वृद्धि होती है।

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