मानसिक तस्वीर देखना एक ऐसी प्रक्रिया है, जो सभी महान उपदेशक और अवतार सदियों से सिखाते आ रहे हैं। मानसिक तस्वीर की प्रक्रिया की प्रबल शक्ति का कारण यह है कि जब आपके दिमाग में मनचाही चीजों के साथ आपकी तस्वीर उत्पन्न होती है, तो आपके मन में ऐसे विचार और भाव जाग्रत होते हैं, जैसे वे चीजें इसी समय आपके पास हों। मानसिक तस्वीर देखना मूलतः प्रबल घनीभूत विचार है और इससे वास्तविक तस्वीर जितनी ही सशक्त भावनाएं उत्पन्न होती हैं। चीजों को उसी रुप में आप तक पहुंचेगी, जिस रुप में आपने उन्हें अपने दिमाग में देखा था ।
आविष्कार कों और उनके आविष्कारों के बारे में सोचें। राइट बंधु और हवाई जहाज। जाॅर्ज ईस्टमैन और फिल्म। थाॅमस एडिसन और बिजली का बल्ब। अलेक्जेंड़र ग्राहम बेल और टेलीफोन। हर चीज के आविष्कार या उसकी तस्वीर देखी। उसने स्पष्ट तस्वीर देखी। जब वह तस्वीर उसके मस्तिष्क में बैठ गई, तो ब्रह्मांड की सारी शक्तियां उस चीज को उसके माध्यम से दुनिया में ले आईं।
ये लोग रहस्य जानते थे। अदृश्य में इन लोगों की पूर्ण आस्था थी। वे ब्रह्मांड का लीवरेज करने और आविष्कार को मूर्त रुप में साकार करने की अपनी आंतरिक शक्ति को जानते थे। उनकी आस्था और कल्पना के कारण मानव जाति का विकास हुआ। हम हर दिन उनके रचनात्मक मस्तिष्क के आविष्कारों का लाभ उठाते हैं।
हो सकता है आप यह सोंचे, “मेरे पास इन महान आविष्कारों जैसा दिमाग नहीं है।” हो सकता है आप यह सोचें, “वे इन चीजों की कल्पना कर सकते थे, लेकिन मैं नहीं कर सकता।” कोई भी चीज सच्चाई से इससे ज्यादा दूर नहीं हो सकती। पर सच तो यह है कि आपके पास न सिर्फ उनके जैसा मस्तिष्क है, बल्कि उससे भी बहुत ज्यादा है।
जब आपको भौतिक जगत में आंखे खोलने पर झटका लगे, तब जान लें कि आपकी तस्वीर वास्तविक बन चुकी है। वह अवस्था, वह जगह वास्तविक है। यही वह क्षेत्र है, जहां हर चीज की रचना होती है। भौतिक प्रकटीकरण तो रचना के वास्तविक क्षेत्र का सिर्फ परिणाम है। आपको अब उस चीज की जरुरत महसूस नहीं होगी, क्योंकि आप मानसिक तस्वीर के माध्यम से सृजन के वास्तविक क्षेत्र में पहुंच चुके हैं और उसे महसूस कर चूके हैं। उस क्षेत्र में आपके पास हर चीज इसी समय है। जब आप उसे महसूस कर लेते हैं, तो आपको वह मिल भी जाएगी।
जब आप खुद को यह यकीन दिलाते हैं कि वह चीज आपके पास इसी समय है। आप अंतिम परिणाम पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और उसकी भावना को महसूस कर रहे हैं, लेकिन इस बात पर जरा भी ध्यान नहीं दे रहे हैं कि ऐसा “कैसे” होगा। आपकी मानसिक तस्वीर पूर्णता की होती है। आपकी भावनाएं उस चीज को साकार रुप में देखती हैं। आपका मस्तिष्क और आपके अस्तित्व की समूची अवस्था उसे इस तरह देखती है, जैसे वह पहले ही साकार हो चुकी हो। यही मानसिक तस्वीर देखने की कला है।
हर व्यक्ति में मानसिक तस्वीर देखने की शक्ति होती है।