अध्यात्म

हनुमान चालीसा की चौपाइयों के बारे

Written by Bhakti Pravah

= ” भूत-पिशाच निकट नहीं आवे। महावीर जब नाम सुनावे।। ” . . जिसे किसी का भय सताता हो . इस चौपाइ का नित्य रोज प्रातः और सायंकाल में 108 बार जाप किया जाए तो सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है . .

= ” नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।। ” . .. यदि कोई व्यक्ति बीमारियों से घिरा रहता है, अनेक इलाज कराने के बाद भी वह ठीक नही हो पा रहा, तो उसे इस चौपाइ का जाप करना चाहिए . इस चौपाइ का जाप निरंतर सुबह-शाम 108 बार करना चाहिए . .

= ” अष्ट-सिद्धि नवनिधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता।। ” . . यदि किसी को भी जीवन में धन और शक्तियों की प्राप्ति करनी हो, ताकि वह कठिन समय में खुद को कमजोर ना पाए तो नित्य रोज, ब्रह्म मुहूर्त में आधा घंटा इन पंक्तियों का जप करे . .

= ” विद्यावान गुनी अति चातुर। रामकाज करिबे को आतुर।। ” . . यदि किसी व्यक्ति को विद्या चाहिए तो इन पंक्तियों के जप से हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है . . इस चौपाइ का जाप निरंतर सुबह-शाम 108 बार करना चाहिए . .

= ” भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्रजी के काज संवारे।। ” . . जीवन में जब तमाम कोशिशों के बावजूद कार्य में विघ्न प्रकट होते हो . .तो उपरोक्त चौपाइ का कम से कम 108 बार जप करें . .

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