* पूर्णिमा के दिन चांदनी में खीर बनाएं। ठंडी होने पर चन्द्रमा और अपने पितरों को भोग लगाएं। कुछ खीर काले कुत्तों को दे दें। वर्ष भर पूर्णिमा पर ऐसा करते रहने से गृह क्लेश, बीमारी तथा व्यापार हानि से मुक्ति मिलती है।
• यदि नियमित रूप से घर की प्रथम रोटी गाय को तथा अंतिम रोटी कुते को दें तो आपके भाग्य के द्वार खोलने से कोई नही रोक सकता |
• आप अपने निवास में कुछ कच्चा स्थान अवश्य रखें| यदि संभव हो तो यह घर के मध्य स्थान में रखें| यदि यहाँ तुलसी का पौधा लगा है तो फिर आपके कार्यों में कोई भी रूकावट नही आ सकती |
• आपकी साधना अर्थात पूजा काल में कोई बच्चा रोता है तो यह आपके लिए शुभ नही है । इसके लिए आप ज्ञानी व्यक्ति से संपर्क कर पता लगायें की क्या वजह है | इसका सामान्य कारन यह हो सकता है की आपके घर में कोई नकारात्मक शक्ति है |
• आप के निवास में अग्नि कोण (पूर्व वह दक्षिण का होना) में यदि गलती से कोई पानी की व्यवस्था हो गयी है तो यह वास्तु शास्त्र के अनुसार बड़ा दोष है | इसके लिए आप उस स्थान पर चोबीस घंटे एक लाल बल्ब जलता रहने दें । शाम को उस स्थान पर एक दीपक अवश्य रखें |
• यदि आप के पूजा काल में कोई मेहमान आता है तो यह बहुत शुभ है, इस समय उस मेहमान को जल पान अवश्य करवाएं ! यदि संध्या काल की पूजा में कोई सुहागिन स्त्री आती है तो आपका बहुत ही सोभाग्य है । आप यह समझें की आपके घर माँ लक्ष्मी का प्रवेश हो चूका है |
• आप जब भी घर वापिस आयें तो कभी खली हाथ न आयें । यदि आप बाज़ार से कुछ लेने की स्थिति में नही हैं तो रास्ते से एक कागज़ का टुकड़ा उठा लायें !
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