सातवें भाव का शुक्र अधिकतर शुभ माना गया है |जातक को ग्रहस्थी का अच्छा सुख प्राप्त होता है | इसका एक कारण ये भी है की इस भाव का कारक शुक्र ही होता है और वो इस भाव में आकर बली हो जाता है | जातक की पत्नी सुंदर शुशील मधुर वाणी बोलने वाली और जातक का हर कदम पर साथ देने वाली होती है ] शुक्र की लग्न पर दृष्टी होने से जातक को खुद का स्वभाव भी सोम्य होता है | इस भाव का शुक्र जातक को ज्यादा मेहनती नही बनाता जातक आमतोर पर कम महनत करने वाला होता है |
आमतोर पर ऐसा कहा जाता है की औरत बेशक कानी हो लेकिन काली न हो लेकिन लाल किताब कहती है की इस भाव के शुक्र वाले जातक को कानी काली दोनों प्रकार की स्त्री मुबारक यानी की लाभ देंने वाली होती है | ऐसे में यदि स्त्री का रंग बहुत ही ज्यादा गोरा हो और वो घर के हर कार्य में दखल देने वाली हो तो जातक को शुक्र के सम्पूर्ण सुख नही मिलते |
सप्तम भाव हमारे साझेदार का भी होता है और शुक्र सप्तम वाला यदि अपनी ससुराल पक्ष के लोगों को अपने व्यवसाय में साझेदार बना लेंतो जातक को नुक्सान होता है | सप्तम शुक्र वाल्लें जातक का विवाह उचित आयु में हो जाता है और साथ ही शादी के बाद जातक के भाग्यौद्य के योग बनते है | सप्तम शुक्र वालें को व्यवसाय के रूप में विवाह शादी से सम्बन्धित कार्य बहुत लाभ देते है साथ ही जातक जन्मभूमि से दूर जाकर सफल होने के योग बनते है | इस भाव के शुक्र वाले जातक को पर स्त्री से शारीरिक सिख प्राप्त करने के जीवन में बहुत से अवसर प्राप्त होते है | जातक पर स्त्री वर्ग अपने आप मोहित हो जाता है और स्त्री वर्ग से जातक को लाभ भी मिलता है |
सप्तम शुक्र यदि बुरा फल दे रहा हो पत्नी का मन शांत न रहता हो या उसे कोई शारीरिक समस्या हो तो ऐसे में जातक की पत्नी को काले नीले वस्त्र धारन नही करने चाहिए |
कुछ विद्वानों का मत है की चूँकि शुक्र सप्तम का कारक ग्रह है और जब कोई कारक ग्रह अपने कारक भाव में अकेला हो तो उस भाव के फल में कमी करता है ऐसे में यदि अकेला शुक्र इस भाव में होगा तो विवाहिक जीवन में कुछ परेशानी अवस्य देगा |
शुक्र गुरु का योग इस भाव में शुभ फल ही देता है हालंकि जातक के परिवार के लोग जातक और उसकी पत्नी से सुख पाते है जबकि इन दोनों को सम्पूर्ण सुख कम ही मिल पाता है क्योंकि इस भाव का गुरु विवाहिक जीवन में कोई न कोई परेशानी अवस्य देता है |
सूर्य शुक्र के योग जातक को लोगों के लिय परस पथर के समान लाभ देने वाला बनाता है लेकिन जातक की खुद की पत्नी के स्वास्थ्य के लिय ये शुभ नही होता |
शुक्र चन्द्र के योग से जातक धर्मिक विस्वास वाला और मधुर स्वभाव वाला होता है और जातक दूसरों के साथ हमदर्दी से पेस आने वाला होता है |
शुक्र मंगल के इस भाव में योग को लाल किताब में मीठा अनार कहा गया है यानि की शुभ फल देने वाला माना गया है | जातक का पूरा भरा पला परिवार होगा |जातक अपने खून के रिश्तेदारों की हर तरह से सहायता करने वाला होगा |
शुक्र शनी का योग ज्यादा शुभ फल नही देता ऐसे में यदि जातक के नजदीक के रिश्तेदार उसके व्यवसाय में सामिल हो जाते है तो उसका पैसा खा जाते है |शुक्र बुद्ध का योग शुभ फल ही देता है |
शुक्र के साथ राहू या केतु होने पर जातक को शुक्र के शुभ फल कम मिलते है | विवाहिक जीवन में परेशानी का सामना करना पड़ता है | जातक की शादी होने में भी कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है | जातक की पत्नी का स्वभाव भी अच्छा नही रह पाता है |
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