तरुण सागर जी संत प्रवचन

श्री तरुण सागर जी महाराज 4

Written by Bhakti Pravah

वास्तव में ‘होटल’ का अर्थ ‘वहां से टल’ जाना ही समझना चाहिए। शाकाहार का पालन करने वालों को चाहिए कि कभी भी उस होटल में भोजन मत करो जहां मांसाहारी भोजन भी बनता हो। वैसे भी घर में पका भोजन ही श्रेष्ठ होता है क्योंकि उसमें वात्सल्य, प्रेम रहता है। अत: हमेशा ही घर में बने भोजन को प्राथमिकता दें।

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