तरुण सागर जी

श्री तरुण सागर जी महाराज 31

Written by Bhakti Pravah

आज का पारिवारिक माहोल होटल की तरह हो गया है …

जैसे होटल में कौनसी टेबल पर कौन बैठा है किसी को नहीं पता होता….

एक आता है दूसरा चला जाता है ….

यही हाल आज के इन्सान का है,

एक घर में दो भाई है तो पहला आगे के दरवाजे से आता है ,

तो दूसरा पीछे के दरवाजे से बहार निकल जाता है..

किसी को किसी से जोई मतलब ही नहीं है…

सब अपने आप में मस्त है .

.परिवार में कभी आपसी बातचीत बंद नहीं करना…

चाहे कितना भी झगडा करो कितना भी बोलो

चाहे मार दो या मार खा लो ..

लेकिन बातचीत कभी बंद मत करो…..क्यों की बातचीत बंद होते ही सुलह के सरे रास्ते बंद हो जाते है ,,,,,,,

तो बातचीत कभी बंद मत करो..

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