तरुण सागर जी

श्री तरुण सागर जी महाराज 30

Written by Bhakti Pravah

माता – पिता बच्चो के जीवन की गीता है ,

क्युकी वो संतान के हर कष्ट को अमृत के तरह पीता है।

बच्चो के झगड़ो में बड़ो और सास – बहु के झगडे में

बाप – बेटे को कभी नहीं पड़ना चाहिए

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