तरुण सागर जी संत प्रवचन

श्री तरुण सागर जी महाराज 29

Written by Bhakti Pravah

होली रंगों का त्योहार है लाल पिला नीला हरा सभी रंगों के साथ हम होली खेलते है … लेकिन कला रंग कोई काम में नहीं लेता … ऐसा क्यों?

क्योकि सब ये ही चाहते है सबकी जिन्दगी रंगीन हो ,,,, कोई नहीं चाहता के उसकी जीवन में कुछ काला (गलत) हो … इसे कोई मन का वहम कहता है तो कोई रिवाज़,

लेकिन इस त्योहार से एक सबसे बड़ी सीख मिलती है वो ये है के जब हम चाहते है के हमारे जीवन में कोई कठिनाई ना आये जीवन अलग अलग रंगों की भांति खुशिया भरा हो…. कोई ये नहीं चाहता के उसके जीवन काले रंग के सामान हो…. तो हमें भी किसी का बुरा करने का अधिकार नहीं है …. हमें भी चाहये के हम अगर किसी का भला नहीं कर सकते तो किसी का बुरा करने का भी नहीं सोचे ….

इस होली के शुभ अवसर पर आप ये प्रण ले के कभी किसी जीव को कष्ट नहीं देगे किसी का बुरा नहीं करेगे ..

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