अध्यात्म

श्रीकृष्ण के इस मंदिर में रोज लगता है सात बार भोग

Written by Bhakti Pravah

राजस्थान के करौली किले में कान्हा जी यानी मदन मोहनजी का मंदिर है। भगवान श्रीकृष्ण के अनेक नामों में से एक मदन मोहन भी है। इस मंदिर का निर्माण महाराजा गोपाल सिंह ने करवाया था। इस मंदिर में भगवान कृष्ण और देवी राधा की प्रतिमाएं हैं। करौली के निवासियों में मदन मोहन के प्रति अपार श्रद्धा और आस्था है।
1725 में बना था ये मंदिर
करौली के राजा गोपाल सिंह ने 1725 में ये मंदिर बनवाया था। कहा जाता है कि दौलताबाद पर विजय के बाद महाराजा गोपाल सिंह जी को सपना आया, जिसमें उन्हें मदन मोहन जी ने कहा कि मुझे करौली ले चलो। तब मदन मोहन की प्रतिमा को जयपुर के आमेर से करौली ले जाकर स्थापित किया गया। इस मंदिर के निर्माण में दो से तीन साल का समय लगा था।

इतनी ऊंची हैं मूर्तियां
मदन मोहन मंदिर में स्थापित कृष्ण जी की ऊंचाई तीन फुट है, जबकि राधा जी की प्रतिमा दो फुट ऊंची हैं। दोनों मूर्तियां अष्टधातु की बनी हैं और दोनों की सुंदरता अद्भुत है।

गजब की है नक्काशियां
मंदिर मध्यकालीन वास्तुकला का सुंदर नमूना है। मंदिर के प्रवेश द्वार से गर्भगृह के बीच लंबा चौबारा है। गर्भगृह में सुंदर नक्काशियां भी हैं। मंदिर के निर्माण में करौली के पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। मुख्य मंदिर के अलावा मंदिर परिसर में कई और मूर्तियां भी स्थापित हैं। चांदनी रात में मंदिर का सौंदर्य देखने लायक होता है।
महाराजा गोपाल सिंह ने जिस गुसाईं को सबसे पहले मंदिर का प्रभार सौंपा था, वह मुर्शिदाबाद के रामकिशोर थे। इसके बाद मदनकिशोर यहां गुसाईं रहे। करौली के मंदिर को राजघराने की ओर से अचल संपत्ति प्रदान की गई थी, जिससे 18वीं सदी में 27 हजार रुपये की सालाना आय होती थी।

56 तरह के व्यंजनों का लगता है भोज
भगवान मदन मोहन को दिन में सात बार भोग लगाया जाता है। उन्हें मिष्ठान काफी प्रिय है। उनके भोग में मुख्य है- दोपहर को राजभोग और रात को शयनभोग। शेष पांच भोगों में मिष्ठान्न आदि रहता है। इसमें मालपुआ, रसगुल्ले जैसी मिठाइयां होती हैं। खास मौकों पर मदन मोहन जी को 56 भोग लगाए जाते हैं। इसमे कई प्रकार के पकवान होते हैं। इसके लिए बड़ी तैयारी की जाती है।

इतने बजे होती आरती
मदन मोहन जी के सेवाकाल में सुबह पांच बजे मंगल आरती  होती है। इसके बाद सुबह नौ बजे धूप, 11 बजे शृंगार, तीन बजे दोबारा धूप और शाम को सात बजे सांध्य आरती होती है। मंदिर सुबह 5 बजे खुलता है और रात्रि 10 बजे बंद हो जाता है। मंदिर दोपहर में भी दो घंटे के लिए बंद होता है। गोपाष्टमी, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और राधाष्टमी मंदिर के प्रमुख त्योहार हैं। मंदिर में पूजा के समय के अनुशासन का पूरा पालन होता है।

कैसे पहुंचें-

करौली बस स्टैंड से मंदिर की दूरी दो किलोमीटर है। करौली के मुख्य बस स्टैंड से रिक्शा या ऑटो से या फिर पैदल भी मंदिर तक जा सकते हैं। मंदिर करौली किले के पीछे चौधरीपाड़ा में स्थित है। मंदिर के साथ श्रद्धालुओं के लिए एक धर्मशाला भी है।

Leave a Comment