हनुमानजी को संकटमोचन कहा जाता है। कहते हैं हनुमानजी अपने सभी भक्तों के जीवन से संकट को हर लेते हैं। अधिकतर ज्योतिष शनि देव को प्रसन्न करने के लिए या उनके कोप को कम करने के लिए हनुमान के पूजन को कहते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार शनि और हनुमान से जुड़ी एक कथा है।
कथा के अनुसार शनि को स्वभाव से क्रुर ग्रह माना गया है। शनि का स्वभाव कुछ उद्दण्ड था। अपने स्वभाव के चलते उन्होंने श्री हनुमानजी को तंग करना शुरू कर दिया। बहुतसमझाने पर भी वह नहीं माने तब हनुमानजी ने उसको सबक सिखाया। हनुमान की मार से पीडि़त शनि ने उनसे क्षमा याचना की तो करुणावश हनुमानजी ने उनको घावों पर लगाने के लिए तेल दिया। शनि महाराज ने वचन दिया जो हनुमान का पूजन करेगा और उन्हें तेल अर्पित करेगा वे उस पर कृपा करेंगे। इसीलिए शनि की साढ़े-साती या किसी भी तरह से शनि का अशुभ प्रभाव होने पर उससे मुक्ति के लिए हनुमानजी को तेल अर्पित किया जाता है जिस व्यक्ति का शनि अशुभ हो वह व्यक्ति शनिवार को शनि जी पर तेल चढ़ाये
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