वास्तु

वास्तु मे आज से शुरू करते है पाकशाला अर्थात रसोई

Written by Bhakti Pravah

वास्तु मे आज से शुरू करते है पाकशाला अर्थात रसोई (किचिन) की, रसोईघर सदा वहां बनाये जंहा सूर्य के प्रकाश की अधिकता हो। प्रकाश/रोशनी सीधी आती हो।
जो लोग फ्लैट मे रहते है उनको ज्यादा सोचना होता है। पर आप लोग भी एक्जॉस्ट की मदद से रसोई को वास्तु अनुसार ढाल सकते है।
आप शायद चोकं ही जाये।
(रसोई व एक्जॉस्ट पर)
हर समय खोज करी जाये तो सभी कुछ पाया जा सकता है। हमारा काम खोजकर लाभ देना ही तो है। तोड़ फोङ करना हमारा काम नही सिर्फ व्यवस्था करना ही तो किसी भी वास्तु आचार्य का कर्तव्य है।
☆रसोई में सफाई की व्यवस्था
☆साफ पानी की व्यवस्था
☆सही रोशनी की व्यवस्था
☆भोज ढककर रखने की जरूरत
☆चिमनी का लगाना व लाभ
☆भोजन सामग्री को ठीक रखने की व्यवस्था
☆वाशिंग एरिया व झूठे बरतन की व्यवस्था।
☆हमारी ग्रहणी या हम खुद का मन रसोईघर में लगे अतः सुन्दर भी दिखे, तो अगले अंक में आपको विस्तार से फिर से लिखेंगे।
अच्छे व स्वस्थ जीवन के लिये वास्तु अपनाये।
हो सकता है कि कुछ लोगों की इगो हर्ट हो रही हो तो बता देता हूॅ कि हम खुद एक इंजीनियर है। वह 1987 से वास्तु शास्त्र पर काम कर रहे है। कुछ पत्रिका को निरन्तर लिखते है, वह कुछ पुस्तके अग्रेजी व हिन्दी मे लिखी है जो मार्केट में उपलब्ध है, शुरूवाती दौर मे धर्म चेनलो से भी जुड़े रहै। पिछले कुछ समय जैन चेनल “मंगल कलश” से भी जुड़े रहे है।

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