ज्योतिष् शास्त्र में लिखा है कि लग्न के नवमांश स्वामी से अथवा जो ग्रह सबसे बलवान हो, उससे जातक के शरीर की आकृति , गठन इत्यादि बातों का निर्णय किया जाता है।
सूर्य- सूर्य यदि लग्न का नवांशपति हो अर्थात सूर्य के नवमांश में जन्म होने से जातक मोटा-सोटा और चिपटा गठन का होता है।
चंद्र- चंद्र के नवमांश में जन्म होने से वा चन्द्र के बली रहने से जातक उन्नत-देह , सुन्दर नेत्र, कृष्ण वर्ण और कुछ कुछ घुंघराले बाल वाला होता है।
मंगल- मंगल के नवांश मे जन्म होने से किञ्चित नाटा , नेत्र पिंगल वर्ण और दृढ़ शरीर अर्थात मजबूत गठन का होता है।
बुध- बुध के नवांश मे जन्म होने से कद मध्यम, परन्तु देखने में छरहरा , आंख का कोना लाल और शरीर की नशें निकली हुई प्रतीत होती हैं।
गुरु- गुरु के नवांश में जन्म होने पर जातक की आंख कुछ पिंगल वर्ण , आवाज गम्भीर, छाती चौड़ी और ऊंची तथा मध्यम कद का होता है।
शुक्र- शुक के नवमांश में जन्म होने पर , भुजा लम्बी, मुख और गंड प्रदेश स्थूल, विलासप्रिय , चंचल और सुन्दर नेत्र और पार्श्ववर्ती स्थान अर्थात कंधे के नीचे का भाग स्थूल होता है।
शनि- शनि के नवमांश में जन्म होने पर आंख का निम्न भाग धंसा हुआ, शरीर दुबला , आकृति में लम्बा और नस तथा नख स्थूल होते हैं।कमर के नीचे चा भाग प्रायः कृश होता है।
kirpaya es theri ko sher karne ka