ज्योतिष

यदि शुक्र ग्रह खराब है तो करें यह उपाय

Written by Bhakti Pravah

सौरमंडल के नवग्रहों में शुक्र का महत्व अधिक है। आकाश में शुक्र ग्रह को आसानी से देखा जा सकता है। इसे संध्या और भोर का तारा भी कहते हैं। ज्योतिष और वैज्ञानिकों का मानना है कि शुक्र की किरणों का हमारे शरीर और जीवन पर अकाट्य प्रभाव पड़ता है।

पुराणों के अनुसार शुक्र दानवों के गुरु हैं। इनके पिता का नाम कवि और इनकी पत्नी का नाम शतप्रभा है। दैत्य गुरु शुक्र दैत्यों की रक्षा करने हेतु सदैव तत्पर रहते हैं। ये बृहस्पति की तरह ही शास्त्रों के ज्ञाता, तपस्वी और कवि हैं। इन्हें सुंदरता का प्रतीक माना गया है।

अशुभ की निशानी :
* शुक्र के साथ राहु का होना अर्थात स्त्री तथा दौलत का असर खत्म।
* यदि शनि मंदा अर्थात नीच का हो, तब भी शुक्र का बुरा असर होता है।
* अंगूठे में दर्द का रहना या बिना रोग के ही अंगूठा बेकार हो जाना शुक्र के अशुभ होने की निशानी है।
* शुक्र के अशुभ होने से त्वचा में विकार, गुप्त रोग और पत्नी से अनावश्यक कलह हो जाता है।
* इसके अलावा भी ऐसी कई स्थितियां हैं जिससे शुक्र को मंदा माना गया है। जैसे परस्त्री से संबंध, शराब सेवन और मांसाहार। ऐसे व्यक्ति सदा भोग-विलास में मद-मस्त रहते हैं।

शुभ की निशानी :
* शुक्र यदि शुभ फल देने वाला है तो शरीर सुंदर होगा, स्त्री में आत्मविश्वास भरपूर होगा।
* ऐसे व्यक्ति से स्त्रियां स्वत: ही आकर्षित होने लगती हैं।
* व्यक्ति धनवान और साधन-संपन्न होता है।
* शुक्र के शुभ होने से व्यक्ति कवि चरित्र, चित्रकार और कामुक प्रवृत्ति का होता है।
* शुक्र का बल हो तो ऐसा व्यक्ति ऐशो-आराम में अपना जीवन बिताता है। फिल्म या साहित्य में रुचि रहती है।
* यदि शनि के मंदे कार्य करेंगे तो शुक्र का शुभ फल अशुभ में बदल जाता है और व्यक्ति बर्बाद हो जाता है।

अचूक उपाय :
* प्रतिदिन लक्ष्मीजी की उपासना करें और स्त्रियों का सम्मान करें। शुक्रवार का व्रत रखें और खटाई न खाएं।
* किसी मंदिर या गरीब व्यक्ति को सफेद वस्त्र दान करें।
* भोजन का कुछ हिस्सा गाय, कौवे और कुत्ते को दें।
* शुक्रवार के दिन सफेद गाय को चारा खिलाएं।
* दो मोती लेकर एक पानी में बहा दें और एक जिंदगीभर अपने पास रखें।
* स्वयं और घर को साफ-सुथरा रखें और हमेशा साफ कपड़े पहनें। नित्य नहाते वक्त प्रतिदिन पानी से गुप्तांग अच्छे से साफ करें। शरीर को जरा भी गंदा न रखें।
* सुगंधित इत्र या सेंट का उपयोग करें और पवित्र बने रहें।

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