जब कभी मन किसी एक चीज पर नहीं लग पाता तब इंसान बे वजह परेशान हो जाता है। इंसान को समझ नहीं आता कि वो क्या करे। किसी एक जगह पर मन स्थिर ही नहीं हो पाता है। लेकिन इसके लिए आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। मेंडिटेशन के जरिए आप अपने मन की गती को रोक सकते हो। आज आपको प्राचीन समय में किये जाने वाले मेडिटेशन यानि ध्यान करने का असली तरीका क्या होता है। उसके बारे में जानेगें। ताकि आप बेवजह की परेशानी से मुक्त हो सको साथ ही आपकी सेहत और उम्र दोनों बढ़े।
मेंडिटेशन ध्यान का सही मतलब
अपने दिल, दिमाग और मन को इधर उधर भटकने से रोकने के लिए किसी एक चीज(object) पर स्थिर करने को ही ध्यान कहा जाता है।
ध्यान करने से गुस्सा, मानसिक तनाव, प्रैशर, टेंशन आदि से आपको कोई फर्क नहीं पड़ता है। इसलिए ध्यान सबसे बड़ी शक्ति है। प्रतिदिन ध्यान करने से आपका मन तो नियंत्रित होता है साथ ही एकाग्रता और मानसिक दबाव से मुक्ति मिल जाती है। जिस दिन इंसान को ध्यान की सही वजह मालूम पड़ जाती है। तब वह इंसान भीड़ से अलग अपनी पहचान बना लेता है। लेकिन दिक्कत यह है कि किसी को पता ही नहीं होता है ध्यान यानि मेडिटेशन कैसे किया जाता है।
मेडिटेशन से पहले ध्यान रखें ये चीजें
1. शांत, साफ और खुला हवादार जगह पर ही मेडिटेशन करें।
2. ध्यान करने से पहले शरीर बिलकुल सीधा हो और तनाव रहित होना चाहिए।
3. जल्दबाजी में ध्यान न करें।
4. यदि आप पहले से ही किसी बीमारी से ग्रसित हों तो ज्यादा देर तक ध्यान न करें।
5. ध्यान करने के लिए आपका मुख उत्तर या पूर्व की दिशा की तरफ होना चाहिए।
6. अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी एक चीज को ध्यान केंद्रित करने का साधन बनाएं जैसे उगते सूर्य का चित्र अपने मन में बना सकते हैं या अपने गुरू का या चक्रों का। किसी भी एक चीज को अपने मन में बसा लें और सिर्फ उसी तरफ ध्यान लगाएं।
7. ध्यान आपको हमेशा करना है।
8. भोजन हमेशा आपको साधा खाना चाहिए।
9. ध्यान आपको खाली पेट ही करना चाहिए।
मेडिटेशन करने के वास्तविक टिप्स
मेडिटेशन करने के लिए आप पहले सुखासन में बैठ जाएं यानि पालती मारकर बैठें। रीढ़ की हड्डी, सिर और गर्दन को बिलकुल सीधा रखें। अब आंखों को हल्का बंद करें। ध्यान रखें आंखे ढ़ीली बंद हो। पूरे शरीर को बिलकुल तनाव मुक्त रखें। अब अपनी सांसों पर अपना ध्यान केन्द्रित करें। जैसे जैसे आपकी सांसे चल रही हैं उन पर ही अपना ध्यान लगाएं। लेकिन इस समय आपके मन में दुनिया के सभी विचार आने लगेगें साथ ही आपका ध्यान भटकेगा। लेकिन आप इन विचारों को आने दें और धीरे-धीरे इन विचारों को मन से हटाते रहें। उनके बारे में ज्यादा सोचे नहीं और सांसों को लंबा और गहरा लेते हुए ध्यान करें।
जब लंबी सांस लें तब ओम् का जप करें और जब सांस छोड़ें तब भी ओम् का जाप करें। थोड़ी देर तक एैसा करने के बाद फिर सासों को सामान्य तरह से लें। जैसे ही लंबी सांसे लें वैसे मन ही मन में ओम् का जाप करें। लेकिन यदि फिर भी मन इधर उधर होने लगे तो फिर से मन को वापस एकाग्र करें। बार-बार करने से आपका मन एकाग्र होने लेगेगा। मन में इधर उधर के विचार आना सामान्य बात है। इन्हें दबाएं नहीं और आप ध्यान अपनी सांसों की तरफ लगाएं। धीरे-धीरे विचार खत्म होगें और आपका मन स्थिर होने लगेगा।
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