मनुष्य भटकता कयूं है, उसके भटकाव का क्या कारन है !:- मनुष्य सुख की कामना में भटकता है ,वर्तमान में जो सुख नहीं प्राप्त हैं उसकी कामना में उसकी आशा में भटकता है ,सुख की कामना ही भटकाव का कारण है !यदि मनुष्य अपने दुःख का साक्षात्कार करे तो तत षण दुःख विलीन हो जाये किन्तु दुःख से गुज़रना एक तप समान है! अध्यात्म और समर्पण का मार्ग साहस का मार्ग है! जो व्यक्ति दुःख का साक्षात्कार कर पता है वह भगवत पेम और ज्ञान को उपलब्ध हो कर सुख दुःख के चक्र से मुक्त होता है !सुख और दुःख के द्वन्द से परे निर्द्वन्द की अवस्था को प्राप्त होता है ,सुख दुःख के द्वैत से परे अद्वैत की अवस्था को प्राप्त होता है !जय श्री कृष्णा!
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