वास्तु

मकान या फ्लैट की गैलेरी/अलमारी

Written by Bhakti Pravah

मकान या फ्लैट की गैलेरी/अलमारी वास्तुशास्त्र के अनुसार
◆यदि भूखण्ड पूर्वोन्मुख है, तो गैलेरी उत्तर-पूर्व में उत्तर की ओर निर्धारित करें।
◆पश्चिम की ओर उन्मुख होने पर गैलेरी उत्तर-पश्चिम में पश्चिम की ओर रखें।
◆उत्तर की ओर भूखण्ड होने पर गैलेरी को उत्तर-पूर्व में उत्तर की ओर बनाना चाहिए।
◆भूखण्ड के दक्षिण की ओर उन्मुख होने पर गैलेरी दक्षिण पूर्व में दक्षिण दिशा में बनाई जानी चाहिए।
●मोटे तौर यह जान लेना चाहिए कि प्रात कालीन सूर्य का प्रकाश एवं प्राकृतिक हवा का प्रवेश मकान में बेरोक-टोक होता रहे। इसलिए आपकी बालकनी उसी के अनुसार होनी चाहिए।
●यह वायव्य कोण या ईशान एवं पूर्व दिशा में मध्य में रखें, तो ज्यादा उत्तम है। स्वागत हॉल में मेहमानों के बैठने का स्थान जैसे सोफा-फर्नीचर दक्षिण और पश्चिम दिशाओं की ओर रखें।
●बैठक के लिए उत्तर और पूर्व की ओर खुली जगह अधिक रखनी चाहिए। घर में अलमारी या लॉकर बनाने के लिए भी मुहूर्त देखना चाहिए।
●स्वाति, पुनर्वसु, श्रवण, घनिष्ठा, उत्तरा व पावार इस हेतु शुभ हैं और प्रथमा, द्वितीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, त्रयोदशी व पूर्णिमा तिथियाँ इस हेतु श्रेष्ठ हैं।
●अलमारी (विशेषतः लकड़ी वाली) यदि कहीं बहुत पतली या बहुत चौड़ी हो तो घर में अन्न-धन की कमी बनी रहती है।
●अतः सम चौड़ाई वाली अलमारी हो। तिरछी कटी अलमारी भी धन कमजोर करती है।
●जोड़ लगाया हुआ लॉकर या अलमारी घर में रखने पर कलह व शोक होता है।
●अलमारी या लॉकर आगे की तरफ झुकते हों तो गृहस्वामी घर से बाहर ही रहता है।
●अलमारी व लॉकर का मुख सदैव पूर्व या उत्तर की ओर खुले।
●अपने-2 धर्मनुसार विधिवत पूजन के बाद ही उसमें वस्तुएँ रखें व हर शुभ अवसर पर इष्ट देव के साथ लॉकर का भी पूजन करें। ताकि घर में बरकत बनी रहे।
उत्तम लाभ हेतु वास्तु अपनाये।
जय शिव

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