अध्यात्म

कैसे आप ध्यान से रख सकते है बिमारिओं को दूर

Written by Bhakti Pravah

पूर्णता के विचार सोचें । बीमारी उस शरीर में नहीं रह सकती, जिसमें सद्भावनापूर्ण विचार हों । जान लें कि सिर्फ पूर्णता ही सच है । जब आप पूर्णता पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो आप उसका आह्वान कर के उसे अपनी ओर बुलाते हैं । अपूर्ण विचार पूरी मानव जाति के कष्टों के कारण हैं, जिनमें रोग, गरीबी और दुख शामिल हैं । नकारात्मक विचार सोचते समय हम खुद को अपनी सही विरासत से अलग कर लेते हैं । इसके बजाय यह घोषणा करें और विश्वास रखें, “मैं सिर्फ आदर्श विचार सोचता हूं । सिर्फ आदर्श चीजें देखता हूं। मैं आदर्श हूं ।”

मैंने अपने शरीर से कठोरता और सुस्ती को बाहर निकाल दिया । मैंने अपने शरीर को किसी बच्चे के शरीर की तरह लचीला और आदर्श देखने पर ध्यान केंद्रित किया । कुछ समय में ही जोड़ों का दर्द और कठोरता गायब हो गई । सच तो यह है कि मैंने यह काम रातोरात कर लिया । इसी तरह बुढ़ापे की धारणाएं भी हमारे मस्तिष्क में ही होती हैं । वैज्ञानिक दृष्टि से हमारा शरीर बहुत कम समय में ही बिलकुल नया हो जाता है । बुढ़ापा सीमाबद्ध चिंतन है, इसलिए इससे संबंधित विचारों को अपनी चेतना से बाहर निकाल दें और यह जान लें कि चाहे आपने अपने दिमाग में कितने ही जन्मदिन मना लिए हों, आपका शरीर सिर्फ चंद महीनों पुराना है । जब आपका अगला जन्मदिन आए, तो खुद पर एक एहसान करें और इसे अपने पहले जन्मदिन की तरह मनाएं ! अपने केक पर साठ कैंडल न लगाएं, जब तक कि आप बुढ़ापे का आह्वान करके उसे अपनी तरफ न बुलाना चाहें । दुर्भाग्य से, पाश्चात्य समाज बुढ़ापे पर बहुत ज्यादा ध्यान केंद्रित करता है, जबकि वास्तव में ऐसी कोई चीज होती ही नहीं है ।

बीमार होने पर लोग अक्सर सारे समय इसी के बारे में बातें करते रहते हैं । ऐसा इसलिए है, क्योंकि वे सारे समय इसी के बारे में सोचते रहते हैं, इसलिए वे बस अपने विचार व्यक्त करते हैं । अगर आप थोड़े बीमार महसूस कर रहे हों, तो उसके बारे में बात न करें — जब तक कि आप इस स्थिति में ज्यादा समय न रहना चाहते हों । जान लें कि आपका विचार सबसे महत्वपूर्ण है, इसलिए इस विचार को ज्यादा से ज्यादा दोहराएं, “मैं बहुत बढ़िया महसूस करता हूं । मैं बहुत बढ़िया महसूस करता हूं,” और सचमुच इसे महसूस करें । अगर आप बहुत बढ़िया महसूस न कर रहे हों और कोई पूछे की आप कैसा महसूस कर रहे हैं, तो बस इस बारे में कृतज्ञ रहें कि व्यक्ति ने आपको बढ़िया महसूस करने के विचार सोचने की याद दिलाई है । सिर्फ अपनी मनचाही चीज के बारे में ही बोलें ।

आप किसी चीज को तब तक नहीं “पकड़” सकते, जब तक कि आप यह न सोच लें कि आप ऐसा कर सकते हैं । आप कोई काम कर सकते हैं, यह सोचना विचार द्वारा उसे अपने पास आने का आमंत्रण देना है । लोगों की बीमारी का विस्तृत ब्योरा सुनते समय आपका पूरा विचार और ध्यान बीमारी पर केंद्रित है । याद रखें, जब आप किसी चीज पर पूरा ध्यान केंद्रित करते हैं, तो आप उसे ब्रह्मांड से मांग रहे हैं । और आप उसकी निश्चित रुप से बीमार व्यक्ति की भी मदद नहीं कर रहे हैं । आप उसकी बीमारी में अपनी ऊर्जा भी जोड़ रहे हैं । अगर आप सचमुच उस व्यक्ति की मदद करना चाहते हैं, तो संभव होने पर बातचीत को अच्छी चीजों की तरफ मोड़ दें, वरना अपने रास्ते चले जाएं । जाते वक्त उस व्यक्ति को स्वस्थ होने के सशक्त विचार और भावनाएं देकर जाएं और बात वहीं खत्म कर दें ।