पीपल को हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र वृक्ष माना जाता है और सामान्य हिन्दू इसके वृक्ष को उखाड़ने अथवा काटने से बचता है |यद्यपि इसका कारण तो धार्मिक भय है किन्तु इस धार्मिक कारण के पीछे वैज्ञानिक कारण हैं ,जो प्रकृति विज्ञान से जुड़े हैं |हमारे ऋषि-मुनि आधुनिक विज्ञानियों से अधिक विकसित विज्ञान के ज्ञाता थे और वे कण कण के गुण जानते थे |उन्होंने पीपल के गुणों के कारण इसे इतना महत्व दिया |यह ईश्वरीय ऊर्जा प्रकीर्तित करता है इसलिए ईश्वरीय माना जाता है |ग्रह प्रभावों का शमन करता है अतः शान्ति में प्रयुक्त होता है |पितरों को इसकी ऊर्जा से शांति मिलती है अतः उनके कार्य में पूज्य है |आत्माओं को इसकी छाया या शरण में शांति महसूस होती है अतः उनके निम्मित्त कार्य में इसका महत्व है |औषधीय रूप से अद्वितीय है अतः वहां महत्व है ही |२४ घंटे आक्सीजन देने के कारण जीवन दाता है |सूर्य की रश्मियों का सबसे बड़ा संग्राहक है अतः सूर्य की ऊर्जा प्रदान करता है जो जीवन का मुख्य स्रोत है इस सौर मंडल में |
सभी वृक्ष मनुष्य की भावना समझते हैं ,पीपल बड़ा वृक्ष होने के कारण आपकी भावना को एम्प्लीफायर की तरह वातावरण में प्रक्षेपित करता है अगर आप उसके सानिध्य में रहकर मंत्र जप या प्रार्थना से भावनात्मक जुड़ाव के साथ अपना माँ कुछ कहते हैं तो |आपकी प्रार्थना शीघ्र सम्बंधित शक्ति या व्यक्ति तक पहुचती है ,इस प्राकृतिक एम्प्लीफायर के माध्यम से तरंगों द्वारा |
आइये देखते हैं इसके कुछ अन्य गुणों को
+ पीपल में वासुदेव कृष्ण का निवास होता है ! गीता में उन्होंने कहा है कि बृक्षों में मै पीपल हूँ ! इसलिए अनावश्यक रूप से इसे न तोड़े !ॐ नमः भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप इसके पास करें |ईश्वरीय ऊर्जा के साथ पित्र शांति और पित्र दोष से भी मुक्ति मिलेगी |
+ शनि ग्रह की शांति के लिए शनिवार साय इसके नीचे जल -दीपक जलने से शनि के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिलती है |
+ बच्चा बिगड़ गया है बात नहीं मानता तो कुछ विशिष्ट क्रियाओं के साथ शनिवार सायं इसके नीचे दीप-जल दान करें ,आपकी मनोकामना यह ईश्वरीय ऊर्जा के साथ बच्चे तक पहुचायेगा और वह ठीक होगा |
+ यह 24 घंटे ऑक्सीजन देता है |.
+ इसके पत्तों से जो दूध निकलता है उसे आँख में लगाने से आँख का दर्द ठीक हो जाता है |.
+ पीपल की ताज़ी डंडी दातून के लिए बहुत अच्छी है |
+ पीपल के ताज़े पत्तों का रस नाक में टपकाने से नकसीर में आराम मिलता है |
+ हाथ -पाँव फटने पर पीपल के पत्तों का रसया दूध लगाए |
+ पीपल की छाल को घिसकर लगाने से फोड़े फुंसी और घाव और जलने से हुए घाव भी ठीक हो जाते है |
+ सांप काटने पर अगर चिकित्सक उपलब्ध ना हो तो पीपल के पत्तों का रस 2-2 चम्मच ३-४ बार पिलायें .विष का प्रभाव कम होगा |.
+ इसके फलों का चूर्ण लेने से बांझपन दूर होता है और पौरुष में वृद्धि होती है |
+ पीलिया होने पर इसके ३-४ नए पत्तों के रस का मिश्री मिलाकर शरबत पिलायें .३-५ दिन तक दिन में दो बार दे |
.+ कुक्कुर खांसी में छाल का 40 मी ली. काढा दिन में तीन बार पिलाने से लाभ होताहै |
.+ इसके पके फलों के चूर्ण का शहद के साथ सेवन करने से हकलाहट दूर होती है और वाणीमें सुधार होता है |
+ इसके फलों का चूर्ण और छाल सम भाग में लेने से दमा में लाभ होता है |
+ पीपल के पत्ते में दिल को बल और शांति देनेकी अद्भुत क्षमता है।
+ इसके फल और पत्तों का रस मृदु विरेचक हैऔर बद्धकोष्ठता को दूर करता है |
+ यह रक्त पित्त नाशक , रक्त शोधक , सुजन मिटाने वाला ,शीतल और रंग निखारने वाला है |
+ हृदयाघात के समय 99 प्रतिशत ब्लॉकेज को भी रिमूव कर देता है पीपल का पत्ता—पीपल के 15 पत्ते लें जो कोमल गुलाबी कोंपलें न हों, बल्कि पत्ते हरे, कोमल व भली प्रकार विकसित हों। प्रत्येक का ऊपर व नीचे का कुछ भाग कैंची से काटकर अलग कर दें।पत्ते का बीच का भाग पानी से साफ कर लें। इन्हें एक गिलास पानी में धीमी आँच पर पकने दें। जब पानी उबलकर एक तिहाई रह जाए तब ठंडा होने पर साफ कपड़े से छान लें और उसे ठंडे स्थान पर रख दें, दवा तैयार।इस काढ़े की तीन खुराकें बनाकर प्रत्येक तीन घंटे बाद प्रातः लें। हार्ट अटैक के बाद कुछ समय हो जाने के पश्चात लगातार पंद्रह दिन तक इसे लेने से हृदय पुनः स्वस्थ हो जाता है और फिर दिल का दौरा पड़ने की संभावना नहीं रहती।दिल के रोगी इस नुस्खे का एक बार प्रयोग अवश्य करें।
इस पीपल के काढ़े की तीन खुराकें सवेरे 8 बजे, 11 बजे व 2 बजे ली जा सकती हैं। खुराक लेने से पहले पेट एक दम खाली नहीं होना चाहिए, बल्कि सुपाच्य व हल्का नाश्ता करने के बाद ही लें। प्रयोगकाल में तली चीजें, चावल आदि न लें। मांस, मछली, अंडे, शराब, धूम्रपान का प्रयोग बंद कर दें। नमक, चिकनाई का प्रयोग बंद कर दें। अनार, पपीता, आंवला, बथुआ, लहसुन, मैथी दाना,सेब का मुरब्बा, मौसंबी, रात में भिगोए काले चने, किशमिश, गुग्गुल, दही, छाछ आदि लें ।
उपरोक्त कारणों के अतिरिक्त अन्य अनेक कारण है जो इसे इतना अधिक महत्व दिया जाता है |इसके हर अंग का अपना अलग विशिष्ट महत्व है |अतः इसका सरक्षण -पूजन किया जाना चाहिए |अगर एक साथ जीवनी ऊर्जा -ईश्वरीय ऊर्जा -ईश्वरीय कृपा -पित्र शांति -पित्र कृपा -ग्रह शांति -स्वच्छ व् स्वस्थ जीवन चाहते हैं तो पीपल का पूजन करें ,जल चढ़ाएं ,कुछ देर उसके पास अवश्य रहें
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