अध्यात्म

जानिये आपके इष्ट देव के बारे में

Written by Bhakti Pravah

अक्सर लोग आप से कहते हैं की अपने इष्ट देव की पूजा करिये। आजकल परेशानियों, कठिनाइयों के चलते हम ग्रह शांति के उपायों के रूप में कई देवी-देवताओं की आराधना, मंत्र जाप एक साथ करते जाते हैं। परिणाम यह होता है‍ कि किसी भी देवता को प्रसन्न नहीं कर पाते- जन्मकुंडली के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के इष्ट देवी या देवता निश्चित होते हैं। यदि उन्हें जान लिया जाए तो कितने भी प्रतिकूल ग्रह हो, आसानी से उनके दुष्प्रभावों से रक्षा की जा सकती है।

अगर लग्न ज्ञात है तो :

इष्ट देवता का निर्धारण कुंडली में लग्न अर्थात प्रथम भाव को देखकर किया जाता है। जैसे यदि प्रथम भाव में मेष राशि हो तो (1 अंक) तो लग्न मेष माना जाएगा। नीचे सभी राशियों के आराध्य देवता दिए जा रहे हैं। अपनी राशि के अनुसार अपने देवता की आराधना कर अपने जीवन को सुखी बनायें : –
मेष : हनुमान जी
वृषभ : दुर्गा माँ
मिथुन : गणपति जी
कर्क: शिव जी
सिंह : विष्णु जी (श्रीराम )
कन्या : गणेश जी
तुला : देवी माँ
वृश्चिक : हनुमान जी
धनु : विष्णु जी
मकर : शिव जी
कुम्भ : शिव का रूद्र रूप
मीन : विष्णु जी (सत्यनारायण भगवान)

अगर जन्म का माह ज्ञात है: उनके लिए इष्ट देव इस प्रकार होंगे- –

जनवरी या नवंबर : शिव या गणेश

फरवरी : शिव
मार्च , अगस्त व
दिसंबर: विष्णु
अप्रेल, सितंबर, अक्टूबर : गणेश
मई व जून माह :मां भगवती
जुलाई माह: विष्णु व गणेश

अगर जन्म का वार ज्ञात है पर समय का पता ना हो,: उनके लिए इष्ट देव इस प्रकार होंगे- –

रविवार- विष्णु।
सोमवार- शिवजी।
मंगलवार- हनुमानजी
बुधवार- गणेशजी।
गुरूवार- शिवजी
शुक्रवार- देवी।
शनिवार- भैरवजी।

अगर पूरी जन्म कुंडली ज्ञात है: उनके लिए इष्ट देव इस प्रकार होंगे- –

जिनको जन्म समय ज्ञात हो उनके लिए जन्म कुंडली के पंचम स्थान से पूर्व जन्म के संचित कर्म, ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, धर्म व इष्ट का बोध होता है।लग्न के अतिरिक्त पंचम भाव के स्वामी ग्रहों के अनुसार देवी-देवताओं का ध्यान पूजन भी सुख-सौहार्द्र बढ़ाने वाला होता है। पंचम स्थान में स्थित ग्रहों या ग्रह की दृष्टि के आधार पर आपके इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
सूर्य: विष्णु।
चंद्रमा- राधा,पार्वती, शिव, दुर्गा।
मंगल- हनुमानजी, कार्तिकेय।
बुध- गणेश, विष्णु।
गुरू- शिव।
शुक्र- लक्ष्मी, तारा, सरस्वती।
शनि- भैरव, काली।

Leave a Comment