अध्यात्म

जय न्यायप्रिय शनि देव जी की

Written by Bhakti Pravah

शनि को न्याय प्रिय ग्रह इसलिये कहा जाता है क्युकि ये ना तो किसीके साथ गलत होता बर्दाश्त करता न गलत कुछ स्वयं पसन्द करते।

सूर्य पुत्र शनि आयु मृत्यु भय दुःख निराशा अपमान दरिद्रता तथा संघर्ष का कारक है ।शनि की अपनी मकर व् कुम्भ राशि है तथा तुला राशि में यह उच्च का व् मेष में नीच का होता है ।

शनि ग्रह का भरचक् का भ्रमण पुरे 30 सालो में पूरा करता है । एक राशि में ढाई साल तक रहता है इसलिये तो इसका नाम मन्द ग्रह भी है। शनि जब चन्द्र राशि से बारवे भाव में आता है तो साढेसाती शुरू होती है तो साढ़ेसात साल तक चलती है ।

शनि की साढेसाती वव ढईया से डरना घबराना या वेहम भरम नी पालने चाहिए की साढेसाती या ढईया चल रही है की ऐसा हो जायेगा वेस। होजायेगा। शनि न्यायप्रिय है अछे कम करोगे दान पुण्य करोगे अछा फल देगा बुरे करोगे तो बुरा फल देगा ।यह कभी मत भूलिए शनि राजा को रंक व् रंक को राजा बना सकता है।

चन्द्र मन का कारक है।शनि दुःख का अतः जातक को साढेसाती व् ढईया में दुःख निराशा अपमान स्थान परिबर्तन का प्रभाव झेलना पड़ता है अगर बुरे प्रभाव दे रहा तो। लेकिन मकर कुम्भ व् तुला लग्न का शनि यदि उच्च का है तो साढेसाती का प्रभाव कम हो जाता है आये जाने शनि देव को खुश करने को क्या करें क्या न करे ।

कपालभाति व् योग निद्रा शितलिक्रिया करने से शनि अच्छा होता है ।
शनि की पीड़ा का दर्द कम करने के लिये रात को हाथ व् पैर के नाखुनो पर सरसों का तेल लगाये।धातु में लोहे का छल्ला मिडल फिंगर में पहने व् लोहे के बर्तन में पानी पियें। जायफल को पीस क्र चाय की पत्ती में प्रयोग करे। राजमा उड़द न खाये हरी इलाची डली हुई खीर खाएं शनि मजबूत होगा ।
हरड़ का सेवन करे। तिल के लड्डू खाये अदरक वाली चाय पियें।
गुड़ शहद का सेवन कम करे मिश्री खाये। फ़टे जूते चपल पुराने कपड़ो व् कम्बल आदि का दान करे ।

ॐ शन शनेश्चराय नमः का जप करे। बजरंगबली जी को तेल सिंदूर चढ़ाये।
तेल व् लोहा दान करे। ये थे शनिदेव जी को अच्छा करने के उपाय खुद करे व् परिवार वालो से करवाये । में तो यही चाहती हूँ की सभी लोग शनि की साढेसाती में रंक से राजा बने।

जय शनि देव जी की

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