जब आप किसी को पसंद करने लगते हैं ,
तब आप उसकी सारी बुराई भूल जाते हो …
और जब आप किसी को नापसंद करने लगते हो , तो उसकी सारी खूबियां भूल जाते हो …
आज इंसान शांति पाने के लिए किसी भी तरह के प्रयास करने में हिचकता नहीं है , परंतु यह उसका दुर्भाग्य होता है की उसे शान्ती प्राप्त होती नहीं है ।
कारण शान्ती पाने के लिए हमें धन – दौलत की नही अपितु दूसरों का सहयोग करने से वो भी निस्वार्थ भाव से करने से प्राप्त होती है ।
इसी सन्दर्भ में इस छोटी परंतु महत्वपूर्ण सुन्दर कहानी को आपके सम्मुख रख रहा हूँ ।
एक वृद्ध संत ने अपनी अंतिम घडी नजदीक देख , अपने बच्चों को अपने पास बुलाया और कहा :-
मै तुम चारों बच्चों को एक एक कीमती रत्न दे रहा हूँ , मुझे पूर्ण विश्वास है की तुम इन्हें बहुत संभाल कर रखोगे और पूरी जिंदगी इनकी सहायता से अपना जीवन आनंदमय तथा श्रेष्ठ
बनाओगे ।
पहला रत्न है :-
“माफी ”
तुम्हारे लिए कोई कुछ भी कहे तुम उसकी बात को कभी अपने मन में न बिठाना , और न ही उसके लिए कभी
प्रतिकार की भावना मन में रखना ,बल्कि उसे माफ़ कर देना ।
दूसरा रत्न है :-
” भूल जाना ”
अपने द्वारा दूसरों के प्रति किये गए उपकार को भूल जाना , कभी भी उस किये गए उपकार का प्रतिलाभ मिलने की उम्मीद मन में न रखना ।
तीसरा रत्न है :-
” विश्वास ”
हमेशा अपनी मेहनत और उस परमपिता परमात्मा पर अटूट विश्वास रखना क्योंकि हम कुछ नही कर सकते जब तक उस सृष्टि नियंता के विधान में नहीं लिखा होगा ।
परमपिता परमात्मा पर रखा गया विश्वास ही तुम्हे जीवन के हर संकट से बचाएगा और सफल करेगा ।
चौथा रत्न है :-
” वैराग्य ”
हमेशा यह याद रखना की जब हमारा जन्म हुआ है तो निश्चित ही हमें एक दिन मरना ही है । इसलिए किसी के लिए अपने मन में लोभ – मोह न रखना ।
तक तुम ये चार रत्न अपने पास सम्भाल कर रखोगे , तुम खुश और प्रसन्न रहोगे ।
Leave a Comment