बिहार के ऐतिहासिक शहर सासाराम शहर से दक्षिण में कैमूर की पहाड़ी की मनोरम वादियों में मां ताराचंडी का वास है। ताराचंडी के बारे में स्थानीय लोगों का मानना है कि यह 52 शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु के चक्र से खंडित होकर सती के तीन नेत्रों में से दायां नेत्र यहीं पर गिरा था। तब यह तारा शक्ति पीठ के नाम से चर्चित हुआ। कहा जाता है कि महर्षि विश्वामित्र ने इसे तारा नाम दिया था। दरअसल, यहीं पर परशुराम ने राजा सहस्रबाहु को पराजित कर मां तारा की उपासना की थी। मां तारा इस शक्तिपीठ में बालिका के रूप में प्रकट हुई थीं और यहीं पर चंड का वध कर चंडी कहलाई थीं। यही स्थान बाद में सासाराम के नाम से जाना जाने लगा। पहले इस स्थान का नाम सहस्रराम था, फिर अपभ्रंश होकर सहसराम हुआ और फिर सासाराम हो गया।
मां की सुंदर मूर्ति एक गुफा के अंदर विशाल काले पत्थर पर बनी हुई है। मुख्य मूर्ति के बगल में बाल गणेश की एक प्रतिमा भी है। कहते हैं कि मां ताराचंडी भक्तों पर जल्दी कृपा करती हैं। वे पूजा करने वालों पर शीघ्र प्रसन्न होती हैं। मां के दरबार में आने वाले श्रद्धालु नारियल फोड़ते हैं और माता को चुनरी चढ़ाते हैं। चैत्र और शरद नवरात्र के समय ताराचंडी में विशाल मेला लगता है। रोहतास जिले और आसपास के क्षेत्रों में माता के प्रति लोगों में अगाध श्रद्धा है। कहा जाता है, गौतम बुद्ध बोध गया से सारनाथ जाते समय यहां रुके थे। वहीं सिखों के नौवें गुरु तेगबहादुर जी भी यहां आकर रुके थे।
कभी ताराचंडी का मंदिर जंगलों के बीच हुआ करता था। पर अब जीटी रोड का नई बाइपास रोड मां के मंदिर के बिल्कुल बगल से गुजरती है। यहां पहाड़ों को काट कर सड़क बनाई गई है। ताराचंडी मंदिर का परिसर अब काफी खूबसूरत बन चुका है। श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए बेहतर इंतजाम किए गए हैं। मंदिर परिसर में कई दुकानें भी हैं। मां ताराचंडी का मंदिर सुबह 4 बजे से संध्या के 9 बजे तक खुला रहता है। संध्या आरती शाम को 6.30 बजे होती है, जिसमें शामिल होने के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। ताराचंडी मंदिर की व्यवस्था बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद देखती है।
कैसे पहुंचें- ताराचंडी मंदिर की दूरी सासाराम रेलवे स्टेशन से करीब 6 किलोमीटर है। आपके पास अपना वाहन नहीं है तो सासाराम से डेहरी जाने वाली बस लें और उसमें मां ताराचंडी के बस स्टॉप पर उतर जाएं। बस स्टैंड से शेयरिंग ऑटो भी ले सकते हैं। सासाराम रेल और सड़क मार्ग दोनों से देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा है।
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