घर मे सबसे ज्यादा महत्ता रसोईघर की ही रहती है । यदि आपका रसोईघर वास्तु अनुसार सही हो और साफ़ हो तो घर मे हमेशापारिवारिक रिश्तों में मिठास बरकरार रहती और हरदम जीवन में खुशनुमा अहसास होता । घर में वास्तुदोष होने से घर में विघ्न बाधाएं अपना बसेरा बना लेती हैं। रसोई में कुछ नियमों का पालन करके घर में नारायण संग लक्ष्मी का वास बनाया जा सकता है।आज आपको वास्तु के कुछ नियम ज्योतिष
वास्तु संस्कार ग्रुप मे मै हंस जैन बता रहा हूँ ।
* गैस-चूल्हा अग्नि दिशा में स्थापित करें।
* खाना पकाते समय गृहिणी अपना मुंह पूर्व दिशा में रखे तथा रसोई के अंदर तुलसी का पौधा स्थापित करें।
* वॉश बेसिन चूल्हे के पास न बनाएं। अगर वॉश बेसिन चूल्हे के पास है तो रसोई के बर्तन रसोई की अग्नि ठंडी होने के बाद साफ करें।
* गैस सिलैंडर हमेशा दक्षिण दिशा में स्थापित करें। अगर दक्षिण में स्थान नहीं है तो उसे पश्चिम दिशा में स्थापित किया जा सकता है।
* अगर रसोई दक्षिण दिशा में है तो गृहिणी जहां खड़े होकर खाना तैयार करती है उसके ऊपर पिरामिड लगाना उत्तम माना जाता है।
* घर के अंदर तैयार खाने व पकवान को उत्तर या पूर्व दिशा में रखें।
* रसोईघर के अंदर भूल कर भी पूजा का स्थल या देव स्थान या पितृ स्थान आदि न बनाएं। ऐसा करने से घर के प्रत्येक कार्य में बाधा आती है तथा सफलता कम मिलती है।
* खाना तैयार होने के बाद उसे चूल्हे पर न रखें अन्यथा घर से बरकत और लक्ष्मी चली जाती हैं।
* घर की रसोई अनुकूल न होने पर उसके अंदर दक्षिण दिशा की ओर एक बल्ब स्थापित करें तथा उसको निरंतर रात्रि तथा भोजन तैयार करने के बाद जलने दें। लगाया गया बल्ब 50 वाट से अधिक बड़ा नहीं होना चाहिए।
* खाना तैयार करते समय गृहिणी को काले या लाल रंग के चप्पल, जूते आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि काले रंग को अग्रि का कुचालक माना जाता हैं तथा लाल रंग को अग्रि का स्रोत माना जाता है जिससे स्वास्थ्य खराब होने की पूर्ण संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
* रसोई के अंदर पूर्व में स्थापित खिड़की व रोशनदान आदि को खाना तैयार करते समय खोल कर रखना चाहिए।
* गृहिणी को रसोई तैयार करते समय प्रसन्न रहना अति आवश्यक है। तनाव या मानसिक दुविधा की स्थिति में खाना तैयार करने से परिवार के लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा तथा सभी चिंतित रहेंगे
कुछ विशेष सलाह
जिस घर मे महिलाये बिना स्नान किये रसोई घर मे प्रवेश करती है ।उस घर मे तनाव रहता है और बरकत चली जाती है ।
जब घर मे किसी बात पर झगड़ा हो तब रसोई मे जाकर भोजन नही बनाये वरना गुस्से मे बनाया भोजन को खिलाने से परिवार मे हमेशा ही गुस्सा आता रहेगा । उचित होगा की रसोई घर मे अपने धर्म या इष्ट से सम्बंधित किसी मन्त्र का उच्चारण या c.d. या मन्त्र की टेप आदि लगाकर सुनते रहे जिससे भोजन बनाने मे सात्विकता के साथ शान्ति भी मिलती रहे ।
महिलाये ध्यान रखे की ये शब्द जैसा खाये अन्न वैसा रहे मन । पर जैसा बनाये अन्न वैसा रहे मन । याने अगर आप भोजन को बनाते समय मन मे गुस्सा , कटुता , ईर्ष्या, आदि सोचेगी या भोजन बनाते समय मन मै बला आ गयी आदि सोचेगी तो उस भोजन का सकारात्मक प्रभाव नही पड़ेगा।
आप भोजन बनाते समय हर पल ये सोचा करे की ये भगवान का प्रसाद बन रहा है और मेरे प्रभु को प्यार से अर्पित करना है । उसके बाद यदि परिवार भोजन करेगा तो अवश्य घर मे शान्ति आयगी । साथ ही भोजन परोसते समय और खाते समय भी महिलाये कृपया इधर उधर की बाते नही करे । शांत मन से भगवान का नाम लेकर मौन होकर भोजन करे ।
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