1.गुरू एक तेज है, जिनके आते ही सारे सन्शय के अंधकार खतम हो जाते हैं !
2. गुरू वो मृदंग हे जिसके बजते ही अनाहद नाद सुनने शुरू हो जाते हैं !
3. गुरू वो ज्ञान हे जिसके मिलते ही पांचो शरीर एक हो जाते हैं !
4. गुरू वो दीक्षा हे जो सही मायने मे मिलती हे तो पार हो जाते हैं !
5. गुरू वो नदी है, जो निरंतर हमारे प्राण से बहती हैं !
6. गुरू वो सत चित आनंद हैं, जो हमे हमारी पहचान देता हैं !
7. गुरू वो बासुरी हैं, जिसके बजते ही अंग अंग थीरक ने लगता हैं !
8. गुरू वो अमृत हे जिसे पीके कोई कभी प्यासा नही!
9. गुरू वो मृदन्ग हैं, जिसे बजाते ही सो हम नाद की झलक मिलती हैं !
10. गुरू वो कृपा हि हैं जो सिर्फ कुछ सद शिष्यो को विशेष रूप मे मिलती हे और कुछ पाकर भी समझ नही पाते !
11. गुरू वो खजाना है, जो अनमोल है !
12. गुरू वो समाधि है, जो चिरकाल तक रहती है !
13.गुरू वो प्रसाद है, जिसके भाग्य मे हो उसे कभी कुछ मांगने की ज़रूरत नही !
Leave a Comment