अध्यात्म

गायत्री महामंत्र व अर्थ

Written by Bhakti Pravah

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।

ॐ – ईश्वर
भू: – प्राणस्वरूप
भुव: – दु:खनाशक
स्व: – सुख स्वरूप
तत् – उस
सवितु: – तेजस्वी
वरेण्यं – श्रेष्ठ
भर्ग: – पापनाशक
देवस्य – दिव्य
धीमहि – धारण करे
धियो – बुद्धि
यो – जो
न: – हमारी
प्रचोदयात् – प्रेरित करे
सभी को जोड़ने पर अर्थ है- उस प्राणस्वरूप, दु:ख नाशक, सुख स्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देव स्वरूप परमात्मा को हम अन्तरात्मा में धारण करें। वह ईश्वर हमारी बुद्धि को सन्मार्ग पर प्रेरित करें।

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