कुंडली में पंचम भाव संतान भाव माना गया है .ज्योतिषशास्त्री इसी भाव से संतान पक्ष का आंकलन करते है .
१-संतान भावगत सूर्य
संतान भाव में सूर्य का नेक प्रभाव होने से संतान जब गर्भ में आती है तभी से व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होना शुरू हो जाता है .इनकी संतान जन्म से ही भाग्यवान होती है .
इस भाव में सूर्य अगर मंदा हो तो माता पिता को बच्चो में सुख नहीं मिलता.वेईचारिक मत भेद के कारन बच्चे माता पिता के साथ नहीं रह पाते .
२-संतान भावगत चन्द्रमा
चन्द्रमा संतान भाव में संतान का पूर्ण सुख देता है .संतान की शिक्षा अच्छी होती है .व्यक्ति अपने बच्चो के भविष्य के प्रति जागरूक होता है .व्यक्ति जितना उदार और जन सेवी होता है बच्चो का भविष्य उतना ही उत्तम होता है.
संतान भाव में चन्द्रमा यदि मंदा हो तो पानी में चावल और दूध मिलाकर नहाना चाहिए तथा शिव शक्ति की आराधना करनी चाहिए .
३-मंगल
संतान भाव में मंगल होने से संतान पराक्रमी और साहसी होती है संतान के जन्म के साथ व्यक्ति का पराक्रम और प्रभाव बढ़ता है .
संतान भाव में मंगल यदि मंदा हो तो व्यक्ति को अपने बैड के सभी पायों पर ताम्बे की कील लगनी चाहिए और सुन्दरकाण्ड का पाठ करना चाहिए .
४-बुध
संतान भाव में बुध संतान को बुद्धिमान और गुणी बनाती है संतान की उच्च शिक्षा होती है .यदि व्यकी चाँदी धारण करता है तो संतान के लिए लाभदायक होता है .
यदि पंचम भाव में बुध मंदा हो तो संतान की आवाज में दिक्कत हो सकती है ऐसे व्यक्ति को अकारण विवादों में नहीं उलझना चाहिए .
५-गुरु
पंचम भावगत यदि गुरु शुभ हो तो संतान के जन्म के पश्चात व्यक्ति का भाग्य बली होता है और दिनानुदिन कामयावी मिलती है .
यदि गुरु मंदा हो तो संतान के विषय में शुभ फल प्राप्त नहीं होता .मंडे गुरु वाले व्यक्ति को उपाय अवश्य करना चाहिए .
६-शुक्र
पंचम शुक्र यदि शुभ हो तो ऐसे व्यक्ति के घर संतान जन्म के बाद धनागम के योग बनते है .व्यक्ति यदि सद्चरित्र होता है तो इनकी संतान प्रसिद्धि पाती है
यदि शुक्र मंदा हो तो शुक्र का उपाय तथा कच्चे दूध से स्नान करना चाहिए .
७-शनि
पंचम भाव गत शनि संतान सुख देता है और संतान शनि के प्रभाव से मेहनत और लगन से उन्नति करती है
इस भाव में यदि शनि मंदा हो तो कन्या की और से व्यक्ति को परेशानी होती है शनि की शुभता के लिए व्यक्ति को मंदिर में बादाम दान करने चाहिए तथा शनि शांति करनी चाहिए .
८-राहू
पंचम भावगत राहू संतान सुख विलम्ब से देता है तथा गर्भ स्राव आदि के योग भी बनाता है अगर राहू कुंडली में शुभ स्तिथि में हो तो पुत्र सुख की संभावना प्रबल रहती है .
यदि अशुभ स्तिथि में हो तो राहू की शांति का उपाय अवश्य करना चाहिए .
९-केतु
केतु भी राहू के समान अशुभ ग्रह है लेकिन संतान भाव में इसकी उपस्तिथि शुभ हो तो संतान के जन्म के साथ ही व्यक्ति को आकस्मिक लाभ मिलता है .
यदि केतु इस भाव में अशुभ हो तो व्यक्ति को केतु की शांति और शिवार्चन करना चाहिए .
विशेष
कभी -कभी संतान भाव पारिवारिक दोषों के कारण भी कमजोर होता है .अगर कुंडली में पितृ दोष हो तो संतान भाव बाधित हो जाता है इसलिए किसी अच्छे ज्योतिषी से परामर्श लेकर ही उपाय करे ताकि पूर्ण फल प्राप्त हो सके . .
शुभम भूयात
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