अध्यात्म

कुंडली ना हो तो भी ग्रहों को अनुकूल किया जा सकता है

Written by Bhakti Pravah

अक्सर इंसान बहुत सी परेशानी से जूझता रहता है और सोचता है के काश उसके पास जन्म-कुंडली हो तो किसी से पूछ लेता ( यह भी एक कटु -सत्य है एक हारा हुआ इंसान ही ज्योतिष के पास ही जाता है.

मेरा मानना है अगर इन्सान अपने आचार व्यवहार सही रखे तो ग्रह अपने आप ही अनुकूल हो जाते है।
1) माता-पिता की सेवा ( सूर्य-चन्द्र)
2) गुरु और वृद्ध जानो के प्रति सेवा और आदर भाव ( वृहस्पति)
3) देश -भक्ति की भावना और गरीब असहाय अपंग और गरीब के प्रति अच्छी भावना ( शनि )
4) मजबूर और अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के प्रति स्नेह भाव ( शनि )
5) अपने रक्त -सम्बन्धियों ,बहन-भाई आदि के साथ स्नेह और कर्तव्य भाव ( मंगल)
6) नारी जाति के प्रति सम्मान और श्रद्धा भाव ( शुक्र)
7) मधुर और अच्छी भाषा का प्रयोग ( बुध)
8) इस धरा के समस्त प्राणी -और पशु पक्षी और अपंग और असहाय प्राणी मात्र के प्रति दया भाव ( राहू-केतु)

उपरोक्त बातें अगर कोई भी इंसान अपने जीवन में उतार लेता है तो …ना ही कभी कोई दुःख पास आएगा और ना ही किसी ज्योतिष के पास जाने की जरुरत ही पड़ेगी ….

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