हम सब कभी न कभी किसी न किसी कारण से नज़र लगने से हमारे शुभ कार्य प्रभावित होते हे।हम आज आपको यहाँ आसान उपाय बता रहे हे जो हम आसानी से कर भी सकते हे और यह उपाय फलीभूत भी हे।बुरी नजर उतारने हेतु फिटकरी-विधि:-
फिटकरी से बुरी नजर उतारने का अतिरिक्त लाभ यह होता है कि व्यक्ति को कष्ट देनेवाली अनिष्ट शक्ति का रूप भी समझ में आ जाता है । जब बुरी नजर उतारने की विधि के उपरांत फिटकरी को जलाया जाता है, तब उससे निकल रही रज-तम तरंगों का घनीकरण हो जाता है । इस घनीभूत आकार से कष्ट की तीव्रता का अनुमान लगाया जा सकता है ।
इस विधि के लिए आवश्यक सामग्री
चरण १ : प्रार्थना
जिस व्यक्ति पर विधि की जानी है, वहहनुमानजी के चरणों में नतमस्तक होकर प्रार्थना करें कि ‘मुझे (अपना पूरा नाम लें) जो कुदृष्टि (बुरी नजर) लगी है, वह हट जाए तथा … (विधि करनेवाले का पूरा नाम लें) पर कोई दुष्प्रभाव न पडे ।’जो व्यक्ति विधि करनेवाला है, वहहनुमानजी से प्रार्थना करे कि कष्ट देनेवाली अनिष्ट शक्तियों के दुष्प्रभाव से मेरी रक्षा कीजिए ।
चरण २ : स्थान ग्रहण करना
अनिष्ट शक्तियों के कष्ट से पीडित व्यक्ति जिस पर विधि की जानी है, उसे कम ऊंचाईवाले लकडी के पीढे पर पूर्व की दिशा में मुंह कर, घुटने मोडकर छाती से सटाकर (दिए गए चित्रानुसार) बैठना चाहिए । हथेली घुटने पर ऊपर की दिशा में रखना चाहिए ।
चरण ३ : विधि करना
विधि करनेवाले व्यक्तिद्वारा किए जानेवाले कृत्य इस प्रकार हैं :अनिष्ट शक्तियों के कष्ट से पीडित व्यक्ति के सामने खडे हो जाएं । बेर के आकार का एक-एक फिटकिरी का टुकडा दोनो हाथों में ले लें (नीचे दिए गए चित्र का संदर्भ लें)।इसके उपरांत उंगलियों को मोडकर मुट्ठी बना लें तथा अपने शरीर के सामने मुट्ठी को एक-दूसरे के ऊपर रखें । मुट्ठियों को एक-दूसरे के ऊपर गुणा के चिन्ह के समान रखें ।इसके उपरांत मुट्ठी को अनिष्ट शक्तियों के कष्ट से पीडित व्यक्ति के शरीर से पैरतक विपरीत दिशा में ले जाएं तथा भूमि को स्पर्श करें ।आरंभ करने के लिए ही हाथ एक-दूसरे के ऊपर हैं । जैसे ही हम विधि करना आरंभ करें हाथों को अलग कर लें और साथ ही दाहिनी मुट्ठी को घडी की सुइयों की दिशा में सिर से पैरतक तथा बाईं मुट्ठी को घडी की सुइयों के विपरीत दिशा में सिर से पैरतक घुमाएं । जैसे ही सबसे नीचे पहुंचे मुट्ठी से भूमि को स्पर्श करें ।भूमि से स्पर्श करने के उपरांत, ऊपर बताए समान पुनः करें अर्थात हाथों को अलग कर लें और साथ ही दाहिनी मुट्ठी को घडी की सुइयों की दिशा में सिर से पैरतक तथा बाईं मुट्ठी को घडी की सुइयों के विपरीत दिशा में सिर से पैरतक घुमाएं ।विधि करते हुए ये वाक्य बोलें ‘आने–जानेवाले की, आत्माओं, वृक्षों,पथिकों, स्थानों की कुदृष्टि लगी हो, तो वह दूर हो जाए और रोग तथा आघात से इसकी रक्षा करें ।’
चरण ४ : सिगडी अथवा जलते हुए कोयले पर फिटकिरी डालने के उपरांत निरक्षित प्रभाव
विधि होने के उपरांत, फिटकरी के टुकडे को सिगडी अथवा जलते हुए कोयले पर डालें । यदि फिटकरी कुछ सेकेंड में ही बिना कोई आकार लिए पूरी जलकर ढेर हो जाए तो इसका अर्थ है कोई समस्या नहीं है ।यदि फिटकरी बिना कोई आकार लिए लंबे समयतक जलती रहे तो इसका अर्थ है कि कष्ट देनेवाली अनिष्ट शक्ति बहुत शक्तिशाली है ।यदि फिटकरी किसी प्राणी अथवा पक्षी का आकार ले ले तो इससे निष्कर्ष निकलता है कि अनिष्ट शक्ति (भूत, प्रेत, पिशाच इत्यादि)व्यक्ति को किसी प्राणी अथवा पक्षी के माध्यम से पीडा दे रही है ।यदि फिटकरी किसी प्राणी अथवा पक्षी का आकार ले ले तो इससे निष्कर्ष निकलता है कि अनिष्ट शक्ति (भूत, प्रेत, पिशाच इत्यादि)व्यक्ति को किसी प्राणी अथवा पक्षी के माध्यम से पीडा दे रही है ।कभी कभी फिटकिरी जलकर एक खोपडी का आकार ले लेती है । इसका अर्थ है कि निम्न स्तर की तीव्र इच्छावाली अनिष्ट शक्ति व्यक्ति को पीडित कर रही है ।अन्य पदार्थों की तुलना में अधिक लाभकारी होते हुए भी फिटकरी का अधिक उपयोग इसलिए नहीं किया जाता : क्योंकि फिटकिरी के जलने से यह पता चल जाता है, कि कौनसे प्रकार की अनिष्ट शक्ति कष्ट दे रही है । अतः विधि करनेवाले व्यक्ति पर अनिष्ट शक्तियों द्वारा आक्रमण करने की संभावना बढ जाती है । यदि व्यक्ति साधना करनेवाला हो तथा उसका आध्यात्मिक स्तर ५० प्रतिशत से अधिक हो, तो ही वह अनिष्ट शक्तियों द्वारा किए जानेवाले आक्रमण से लड सकता है । इसलिए यह विधि नहीं की जाती ।
चरण ५ : शेष सामग्री का निपटान
शेष सामग्री को एक प्लास्टिक की थैली में बंद कर कचरे में फेंक सकते हैं । कचरे में फेंकने से पहले हनुमानजी से प्रार्थना करें कि हे हनुमानजी, इसमें विद्यमान अनिष्ट शक्ति को नष्ट कर दीजिए ।
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